अंकाराः राजनीतिक फैसलों का असर कब और कहां पड़ जाए, ये कोई तुर्की से बेहतर नहीं समझ सकता. पाकिस्तान को खुला समर्थन देना तुर्की को भारी पड़ गया है – और इसका असर उसकी चमकदार वेडिंग टूरिज्म इंडस्ट्री पर सीधा दिखने लगा है. भारत की नाराजगी ने तुर्की की अर्थव्यवस्था के उस हिस्से को झटका दिया है, जिसे वह बीते कुछ सालों में बेहद फायदे का क्षेत्र मानता आया था – इंडियन डेस्टिनेशन वेडिंग्स.
जहां पहले हर साल दर्जनों भारतीय हाई-प्रोफाइल शादियां तुर्की के आलीशान होटल और महलों में होती थीं, वहीं अब भारत के बड़े-बड़े वेडिंग प्लानर्स और अमीर परिवार तुर्की का रुख करने से पीछे हट रहे हैं.
कितना बड़ा है नुकसान?
2,000 से ज्यादा टूरिस्ट बुकिंग्स पहले ही रद्द हो चुकी हैं
2024 में तुर्की ने करीब 50 भारतीय शादियों की मेज़बानी की थी, जिनमें से कई तो 60 करोड़ रुपये से ज्यादा की थीं. इन शादियों के जरिए तुर्की को ग्लोबल वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में ब्रांडिंग भी मिलती थी – जिससे वहां की होटल इंडस्ट्री, लोकल वेंडर्स, डेकोरेटर्स, फ्लोरिस्ट्स और ट्रैवल कंपनियों को व्यापक रोजगार मिलता था, लेकिन अब भारत के विरोध के चलते तुर्की का यह मुनाफे वाला सेक्टर संकट में है.
सिर्फ एक सेक्टर नहीं, पूरी अर्थव्यवस्था खतरे में
2024 में तुर्की का कुल वेडिंग टूरिज्म राजस्व करीब 3 अरब डॉलर का था, जिसमें से भारतीय शादियों की हिस्सेदारी 1,170 करोड़ रुपये से ज़्यादा थी. अब भारत की नाराज़गी ने इस हिस्सेदारी को लगभग खतरे में डाल दिया है. तुर्की की टूरिज्म इंडस्ट्री का कुल मूल्य 61.1 अरब डॉलर है – और अगर मौजूदा हालात ऐसे ही रहे तो इसका असर इससे जुड़े दूसरे क्षेत्रों पर भी पड़ सकता है.
राजनीतिक दोस्ती की कीमत?
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के पाकिस्तान प्रेम ने उन्हें अब आर्थिक तौर पर झटका दिया है. 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत-तुर्की संबंधों में जो तल्खी आई, उसने भावनात्मक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर नुकसान पहुंचाया है. अब सवाल यह है कि क्या एर्दोगन सरकार इस संकट को वक्त रहते समझेगी, या फिर तुर्की अपने सबसे खर्चीले मेहमानों – भारतीयों – को हमेशा के लिए खो देगा?
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