अब समय और स्थान हम तय करेंगे... गीदड़ भभकी तो दे रहा, लेकिन पलटवार नहीं कर सकता पाकिस्तान; जानिए वजह

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में स्थित आतंकियों के 9 ठिकानों पर जोरदार सर्जिकल स्ट्राइक की.

    Pakistan threatening but cannot retaliate
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15 दिन बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में स्थित आतंकियों के 9 ठिकानों पर जोरदार सर्जिकल स्ट्राइक की. इस कार्रवाई में करीब 100 आतंकियों के मारे जाने की खबर है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि पाकिस्तान की ओर से अब तक इस पर कोई ठोस जवाब नहीं आया है. आखिर क्यों खामोश है पाकिस्तान? चलिए आपको बताते हैं वो चार ठोस कारण, जिनकी वजह से इस बार पाकिस्तान पलटवार की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा.

    1. पाकिस्तान का नेतृत्व टकराव के मूड में नहीं

    पाकिस्तान की मौजूदा सरकार में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ खुद भी इस समय दबाव में हैं. हमले के बाद उन्होंने अपने बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से राय-मशविरा किया. नवाज ने उन्हें साफ संदेश दिया—"लड़ाई में मत पड़ो, पाकिस्तान तबाह हो जाएगा." यानी पाकिस्तान की शीर्ष सत्ता खुद चाहती है कि मामला बातचीत और कूटनीति से सुलझे, न कि लड़ाई से.

    2. भारत ने सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया

    भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान की सेना या आम नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाया. हमले सिर्फ उन आतंकी ठिकानों पर किए गए जिनका सीधा संबंध भारत में हुए हमलों से था. यही वजह है कि भारत ने यह संदेश दिया है कि उसकी लड़ाई पाकिस्तान से नहीं, बल्कि आतंकवाद से है. अगर पाकिस्तान अब कोई जवाबी हमला करता है, तो वो खुद को आतंकियों का संरक्षक साबित कर बैठेगा—जो उसकी पहले से बिगड़ी साख को और नीचे गिरा देगा.

    3. IMF से कर्ज की आस

    9 मई को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम दिन है. उस दिन IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें पाकिस्तान के लिए नए कर्ज की मंजूरी पर फैसला होना है. ऐसे में अगर पाकिस्तान सैन्य पलटवार करता है तो IMF यह मान सकता है कि वह जंग के रास्ते पर है—और ऐसे देश को आर्थिक मदद देने की संभावना शून्य हो जाती है. पाकिस्तान पहले ही आर्थिक बदहाली के कगार पर है, और जंग उसे पूरी तरह दिवालिया बना सकती है.

    4. अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कमी

    पाकिस्तान को पहले भारत विरोधी रुख में अमेरिका जैसे देशों का समर्थन मिल जाता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. उल्टे, रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने तो भारतीय प्रधानमंत्री से बात कर भारत की कार्रवाई को जायज ठहराया और कहा कि आतंक के अड्डों को मिटाना जरूरी है. अमेरिका भी अब आतंकवाद पर पाकिस्तान का साथ नहीं देता. चीन भले ही पाकिस्तान का पारंपरिक साथी रहा है, लेकिन इस बार उसने भी कोई ठोस समर्थन नहीं दिया है.

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