पाकिस्तान को पानी की एक बूंद नहीं मिलेगी! शहबाज-नवाज की उड़ी नींद, एयर स्ट्राइक का भी खौफ

    जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया. इस निर्मम हमले में 28 मासूम पर्यटकों की जान गई और 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए.

    Pakistan Shehbaz Nawaz fear of air strike
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया. इस निर्मम हमले में 28 मासूम पर्यटकों की जान गई और 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली है. इस घटनाक्रम ने एक बार फिर भारत को सख्त और निर्णायक कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है.

    सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया

    हमले के ठीक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक हुई, जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए. भारत ने 1960 में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. यह वही समझौता है जो दशकों से दोनों देशों के बीच जल बंटवारे की रीढ़ की हड्डी माना जाता रहा है.

    भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग के स्टाफ को भी कम करने का निर्णय लिया है और पाकिस्तान के सैन्य सलाहकारों को भारत छोड़ने का निर्देश जारी कर दिया गया है. इसके साथ ही वाघा-अटारी सीमा को बंद कर दिया गया है, जो अब तक सीमित व्यापार और आवागमन का मुख्य रास्ता थी. SAARC वीजा छूट योजना भी रद्द कर दी गई है और भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश जारी हुआ है.

    सिंधु जल समझौते के निलंबन का पाकिस्तान पर गहरा असर

    सिंधु जल समझौते के निलंबन का पाकिस्तान पर गहरा असर पड़ने जा रहा है. इस समझौते के तहत पूर्वी नदियों – ब्यास, रावी और सतलुज – पर भारत का पूर्ण अधिकार था, जबकि पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब – का जल पाकिस्तान को मिलता था. अब जब भारत ने यह समझौता रद्द कर दिया है, तो पाकिस्तान की कृषि, जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन तीनों मोर्चों पर संकट मंडराने लगा है.

    पाकिस्तान की लगभग 80 प्रतिशत कृषि भूमि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर करती है, जो करीब 1.6 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. इस जल प्रणाली से मिलने वाले पानी का करीब 93 प्रतिशत हिस्सा केवल सिंचाई के काम में लिया जाता है. अगर यह जल आपूर्ति बाधित होती है, तो पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था पूरी तरह ठप हो सकती है. सिंधु बेसिन में रहने वाली पाकिस्तान की 61 प्रतिशत आबादी, यानी लगभग 24 करोड़ लोग, प्रत्यक्ष रूप से इस जल पर निर्भर हैं.

    बिजली संकट भी गहराएगा

    यही नहीं, कराची, लाहौर और मुल्तान जैसे प्रमुख शहरों की जल आपूर्ति भी सिंधु और इसकी सहायक नदियों से होती है. इस क्षेत्र में स्थापित तरबेला और मंगला जैसे जलविद्युत परियोजनाएं पाकिस्तान की ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा पूरा करती हैं. यदि इनका संचालन प्रभावित होता है, तो न केवल बिजली संकट पैदा होगा, बल्कि औद्योगिक गतिविधियां और दैनिक जीवन भी ठप हो सकते हैं.

    भारत ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि अब आतंक के हर हमले की कीमत चुकानी होगी. पुलवामा के बाद एयरस्ट्राइक, उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और अब पहलगाम हमले के जवाब में ‘वॉटर स्ट्राइक’ यह दिखाता है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि पूरी रणनीति के साथ कार्रवाई करता है. पाकिस्तान के सामने अब एक नई चुनौती खड़ी हो गई है – जहां सिर्फ सरहद ही नहीं, उसकी जीवन रेखा कही जाने वाली नदियां भी जवाब देने लगी हैं.

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