दवाब की राजनीति कर रहा था पाकिस्तान, अफगानिस्तान ने कर दिया बड़ा ऐलान; शहबाज परेशान

    Pakistan Afghanistan Tension: पाकिस्तान द्वारा दबाव की राजनीति अपनाने के आरोपों के बीच अफगानिस्तान ने पहली बार बेहद सख्त रुख अपनाया है. काबुल ने स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी व्यापारिक और पारगमन (ट्रांजिट) मार्ग तभी फिर से खोले जाएंगे, जब इस्लामाबाद आधिकारिक और लिखित आश्वासन देगा कि भविष्य में इन रास्तों का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव बनाने के हथियार की तरह नहीं किया जाएगा. 

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    Pakistan Afghanistan Tension: पाकिस्तान द्वारा दबाव की राजनीति अपनाने के आरोपों के बीच अफगानिस्तान ने पहली बार बेहद सख्त रुख अपनाया है. काबुल ने स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी व्यापारिक और पारगमन (ट्रांजिट) मार्ग तभी फिर से खोले जाएंगे, जब इस्लामाबाद आधिकारिक और लिखित आश्वासन देगा कि भविष्य में इन रास्तों का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव बनाने के हथियार की तरह नहीं किया जाएगा. 

    अफगान सरकार ने साफ किया कि सीमा बंद होने से दोनों देशों के नागरिकों को नुकसान झेलना पड़ा है, इसलिए अब बिना किसी ठोस गारंटी के व्यापारिक दरवाजे नहीं खुलेंगे. यह फैसला उस समय आया है जब पाकिस्तान मध्य एशिया के देशों तक पहुंचने के लिए अफगान मार्ग पर निर्भर था. रास्ते बंद होने से अब उसे इराक के रास्ते होकर लंबा और महंगा विकल्प अपनाना पड़ सकता है.

    पाकिस्तान पर रास्तों को “राजनीतिक औजार” की तरह उपयोग करने का आरोप

    अफगान सरकार के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि अफगान–पाकिस्तान व्यापार और ट्रांजिट रूट पाकिस्तान की ओर से मनमाने ढंग से रोके गए. उनके अनुसार यह कदम न सिर्फ अवैध था, बल्कि इसे राजनीतिक व आर्थिक दबाव के साधन के रूप में इस्तेमाल किया गया.

    मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान के पास अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के कई अन्य विकल्प मौजूद हैं और यही वजह है कि इस्लामी अमीरात ने निर्णय लिया है कि मार्ग तभी खोले जाएंगे, जब पाकिस्तान लिखित रूप से यह भरोसा देगा कि भविष्य में किसी भी स्थिति में इन रास्तों को बंद कर जनता और व्यापारियों को परेशान नहीं किया जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि बिना मजबूत आश्वासन के सीमा खोलना संभव नहीं है.

    भूगोल की सीमाओं में बंधा अफगानिस्तान और पाकिस्तानी निर्भरता

    अफगानिस्तान भौगोलिक रूप से एक लैंड-लॉक देश है और उसकी समुद्र तक सीधी पहुंच नहीं है. परंपरागत रूप से वह अपनी अधिकतर बाहरी व्यापारिक गतिविधियों के लिए पाकिस्तान के कराची और ग्वादर बंदरगाहों या ईरान के चाबहार पोर्ट पर निर्भर रहा है.

    हालांकि, अफगानिस्तान का दावा है कि उसने कभी पाकिस्तान के लिए पारगमन मार्ग बंद नहीं किए, लेकिन पाकिस्तान लगातार इन रूट्स को बंद करके या बाधाएं बढ़ाकर दबाव बनाता रहा है. अफगान नेतृत्व का कहना है कि सीमा प्रबंधन और सुरक्षा के नाम पर, पाकिस्तान अक्सर नीति में अचानक बदलाव कर देता है, जिसका खामियाजा दोनों देशों के आम नागरिकों और व्यापारियों को भुगतना पड़ता है.

    ट्रकों और कारोबार पर पाकिस्तानी सख्ती का असर

    अफगान ट्रक ऑपरेटरों और व्यापारियों ने लंबे समय से शिकायत की है कि पाकिस्तान सीमा पर अतिरिक्त जांच, देरी या अवैध शुल्क के नाम पर रुकावटें खड़ी करता है. कई बार अचानक पारगमन शुल्क बढ़ा दिया जाता है, तो कभी चेकपोस्टों पर घंटों-घंटों तक ट्रकों को रोक दिया जाता है.

    इस तरह की देरी का सबसे बड़ा असर फल, सब्ज़ी, ड्राई फ्रूट जैसे जल्दी खराब होने वाले सामान पर पड़ता है, जो अफगान निर्यात का अहम हिस्सा हैं. अफगान व्यापारियों का कहना है कि पाकिस्तान इन तरीकों का उपयोग तालिबान सरकार पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाने के लिए करता है, ताकि राजनीतिक लाभ हासिल किया जा सके.

    भविष्य की राह: क्षेत्रीय व्यापार पर क्या होगा असर?

    अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच लगातार खिंचती रस्साकशी न केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करती है, बल्कि मध्य एशिया से दक्षिण एशिया तक होने वाला व्यापक व्यापार भी इससे प्रभावित होता है. पाकिस्तान पहले अफगानिस्तान के माध्यम से मध्य एशियाई बाज़ारों तक आसान पहुंच पाता था, लेकिन अब मार्ग बंद होने से उसे लंबा और महँगा विकल्प अपनाना पड़ रहा है.

    विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि दोनों देशों ने भरोसे की नई व्यवस्था नहीं बनाई, तो क्षेत्रीय व्यापार में भारी गिरावट आएगी. दूसरी ओर, अफगानिस्तान ईरान और मध्य एशिया के साथ वैकल्पिक व्यापारिक समझौतों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, ताकि पाकिस्तान पर निर्भरता कम हो सके.

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