पाकिस्तान अमेरिका के साथ ‘कश्मीर कार्ड’ खेलना चाहता है! ट्रंप 'आतंकिस्तान' को अपनी गोद में क्यों बिठा रहे?

    डोनाल्ड ट्रंप भले ही फिलहाल पाकिस्तान की ज़मीन पर कदम रखने की योजना में न हों, लेकिन वॉशिंगटन की फिज़ाओं में पाकिस्तान की मौजूदगी तेज़ी से महसूस की जा रही है.

    Pakistan Kashmir card with America Trump
    शहबाज-ट्रंप | Photo: ANI

    डोनाल्ड ट्रंप भले ही फिलहाल पाकिस्तान की ज़मीन पर कदम रखने की योजना में न हों, लेकिन वॉशिंगटन की फिज़ाओं में पाकिस्तान की मौजूदगी तेज़ी से महसूस की जा रही है. खबर है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ जल्द ही अमेरिका की यात्रा पर जा सकते हैं. इस बात की पुष्टि खुद अमेरिका के विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने की है.

    पिछले कुछ दिनों से अटकलें गर्म थीं कि डोनाल्ड ट्रंप दक्षिण एशिया के दौरे पर आ सकते हैं और इस बहाने पाकिस्तान भी जाएंगे. हालांकि अब यह साफ हो गया है कि ट्रंप का पाकिस्तान दौरा फिलहाल टल गया है—लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में एक नई गर्माहट ज़रूर दर्ज की जा रही है.

    वॉशिंगटन में क्या चाहते हैं शहबाज शरीफ?

    टैमी ब्रूस ने एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा कि पाकिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही अमेरिका आएगा और उनके साथ द्विपक्षीय बातचीत होगी. उनका यह बयान कई संभावनाओं को जन्म देता है, खासकर जब सवाल कश्मीर मुद्दे और ट्रंप की मध्यस्थता की भूमिका को लेकर हो. भारत हमेशा इस मुद्दे को द्विपक्षीय मानता रहा है, लेकिन पाकिस्तान चाहता है कि इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जाए—और ट्रंप जैसे वैश्विक चेहरे को बीच में लाकर इस पर 'ध्यान' खींचा जाए.

    ट्रंप का रिकॉर्ड और ‘मित्र मुलाकातों’ की राजनीति

    याद दिलाना जरूरी है कि जब पाकिस्तान के फील्ड मार्शल और सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर अमेरिका गए थे, तो उन्हें व्हाइट हाउस में बड़े सम्मान से नवाज़ा गया था. ट्रंप ने उन्हें विशेष दावत दी थी, और वहीं से ईरान पर अमेरिकी हमलों का बिगुल बज गया था. इसे कुछ विश्लेषकों ने एक ‘डील’ करार दिया—एक ऐसा सौदा जिसमें पाकिस्तान अमेरिका का समर्थन बेच रहा था. अब सवाल है—क्या शहबाज शरीफ की प्रस्तावित यात्रा भी उसी राजनीतिक पटकथा का अगला दृश्य है?

    ‘कश्मीर कार्ड’ फिर से खेलने की कोशिश?

    पाकिस्तान की कोशिश यही होगी कि वह इस दौरे के ज़रिए कश्मीर पर ट्रंप की मध्यस्थता की गुहार लगाए. ट्रंप इससे पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच ‘मध्यस्थ’ बनने की इच्छा जता चुके हैं, लेकिन भारत ने उसे साफ तौर पर खारिज कर दिया था.

    इसके अलावा पाकिस्तान सिंधु जल संधि और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों को भी अमेरिका के सामने उठा सकता है. अमेरिकी मदद से ये मसले अंतरराष्ट्रीय रंग हासिल करें—यही इस यात्रा का मकसद हो सकता है.

    ट्रंप क्यों खामोश हैं?

    पहले कुछ पाकिस्तानी चैनलों जैसे जियो न्यूज और एआरवाई ने खबर चलाई थी कि ट्रंप सितंबर में पाकिस्तान का दौरा करेंगे, लेकिन व्हाइट हाउस ने तुरंत इस पर विराम लगा दिया. ट्रंप के पाकिस्तान दौरे की फिलहाल कोई योजना नहीं है—यह बात अमेरिकी प्रशासन ने साफ तौर पर कह दी है. फिर भी सवाल कायम है—अगर ट्रंप नहीं जा रहे तो शहबाज शरीफ क्यों आ रहे हैं?

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