इस्लामाबाद: कश्मीर में भारतीय सेना की एक और निर्णायक आतंकवाद विरोधी कार्रवाई ऑपरेशन महादेव की कामयाबी ने पाकिस्तान को बुरी तरह बेचैन कर दिया है. भारतीय संसद में जब गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन की जानकारी साझा की, और तीन खूंखार आतंकियों के खात्मे की पुष्टि की, तो इस पर पाकिस्तान की सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी. बौखलाए पाकिस्तान ने इस बार सीधे-सीधे शाह पर हमला बोलते हुए भारतीय संसद में दिए गए बयानों को "उकसावे वाला और गैरजिम्मेदाराना" बताया.
पाकिस्तान का तीखा बयान, नाम लेकर किया विरोध
पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत जानबूझकर झूठ फैलाकर सैन्य कार्रवाइयों को सही ठहराने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि भारत के नेता संसद में जो बातें कह रहे हैं, वो "तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना" है. खासकर गृह मंत्री अमित शाह के ऑपरेशन महादेव को लेकर दिए गए बयान पर शफकत खान ने सीधा हमला बोला और कहा कि "उनके दावे पूरी तरह से निराधार हैं."
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत ने 6-7 मई की रात को पाकिस्तान की सरहद पर बिना किसी पुख्ता सबूत के सैन्य कार्रवाई की और अब भी आक्रामक रवैया बनाए हुए है.
आतंक पर 'ऑपरेशन महादेव' की मार
गौरतलब है कि हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन महादेव’ में भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में तीन खतरनाक आतंकवादी मारे गए थे. गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि ये आतंकवादी पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे.
शाह ने विशेष रूप से बताया कि मारा गया सुलेमान उर्फ फैजल लश्कर का शीर्ष कमांडर था, जो हालिया पहलगाम हमले में शामिल था. इसके साथ मारे गए अफगान और जिब्रान नामक आतंकियों की गतिविधियां भी काफी संदिग्ध और खतरनाक थीं.
अमित शाह ने कहा, "हमारी खुफिया एजेंसियों खासकर आईबी और आर्मी यूनिट्स ने अत्याधुनिक तकनीक और सेंसर के ज़रिए आतंकियों की उपस्थिति का पता लगाया. इसके बाद एक समन्वित कार्रवाई कर इन्हें मारा गया."
पाकिस्तान के पास जवाब नहीं, फिर सिंधु संधि की रट
पाकिस्तान ने अपनी प्रतिक्रिया में एक बार फिर सिंधु जल संधि का मुद्दा भी घसीटा. शफकत अली खान ने कहा कि भारत इस संधि को लेकर “आक्रामक और अनुचित” बयानबाजी कर रहा है और इससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है.
यह कोई नई बात नहीं है. पाकिस्तान जब भी भारत की आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों से असहज होता है, वह इस जल समझौते की आड़ में खुद को “पीड़ित” के रूप में पेश करने की कोशिश करता है. हालांकि भारत बार-बार स्पष्ट कर चुका है कि वह सिंधु संधि के सभी प्रावधानों का पालन कर रहा है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है.
भारत के पास पुख्ता आधार, पाकिस्तान की बयानबाज़ी खोखली
शफकत खान ने दावा किया कि पाक पीएम शहबाज शरीफ ने पहलगाम हमले की "अंतरराष्ट्रीय जांच" की पेशकश की थी, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया. भारत ने इस पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन यह स्पष्ट है कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई खुफिया और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर की गई थी.
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया दबाव की रणनीति है, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वह खुद को एक "अमनपसंद देश" के तौर पर दिखा सके, जबकि हकीकत इसके बिल्कुल उलट है.
ऑपरेशन महादेव: आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई
‘ऑपरेशन महादेव’ का नाम ही यह दर्शाता है कि यह एक पवित्र लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया गया सैन्य अभियान था. इसमें सुरक्षाबलों ने स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कोई सिविलियन कैजुअल्टी नहीं होने दी और आतंकवादियों को उनकी ही शैली में जवाब दिया.
इस ऑपरेशन से यह साफ संदेश गया है कि भारत अब काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशंस में और अधिक आक्रामक नीति अपनाने जा रहा है, जिसमें केवल सीमापार घुसपैठियों पर ही नहीं, बल्कि उनके संपर्क और समर्थन नेटवर्क पर भी चोट की जाएगी.
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