इस्लामाबाद: पाकिस्तान की वायुसेना (PAF) अपने लड़ाकू विमानों के उन्नयन से भारतीय वायुसेना (IAF) से तकनीकी बढ़त हासिल करने का दावा कर रही है. PAF के रिटायर्ड एयर कमोडोर जाहिद उल हसन ने कहा है कि पाकिस्तान आने वाले वर्षों में अपनी वायुशक्ति को मजबूती देने के लिए 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर जोर दे रहा है. वहीं, भारतीय वायुसेना घरेलू उत्पादन और विदेशी खरीद के बीच संतुलन बनाने में चुनौतियों का सामना कर रही है.
PAF का रणनीतिक कदम
हसन के अनुसार, पाकिस्तान अपनी वायुसेना को आधुनिक बनाने के लिए चीन के साथ मिलकर 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट खरीदने और विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. पाकिस्तान ने चीन के शेनयांग FC-31 (J-31 या J-35) लड़ाकू विमानों को खरीदने की योजना बनाई है, जो अगले दो वर्षों में पाकिस्तानी वायुसेना के बेड़े में शामिल हो सकते हैं. ये विमान अमेरिकी F-35 से मुकाबले के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और स्टील्थ तकनीक से लैस हैं.
IAF की चुनौतियाँ
विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय वायुसेना की ताकत उसकी संख्या में तो अधिक है, लेकिन उसके आधुनिकीकरण की गति अपेक्षाकृत धीमी रही है. वर्तमान में IAF के पास 2,229 विमान हैं, जबकि PAF के पास 1,399 विमान हैं. हालांकि, IAF की पुरानी होती फ्लीट और स्वदेशी लड़ाकू विमानों के निर्माण में हो रही देरी उसकी रणनीतिक मजबूती को प्रभावित कर सकती है.
PAF की भविष्य की योजना
पाकिस्तान, 2030 तक अपने बेड़े में 50 J-35 लड़ाकू विमान शामिल करने की योजना बना रहा है, जिससे उसकी हवाई ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है. इसके अलावा, पाकिस्तान के पास पहले से ही JF-17 थंडर ब्लॉक III विमान हैं, जो उसने चीन के सहयोग से विकसित किए हैं.
भारत के लिए चेतावनी?
विश्लेषकों का मानना है कि PAF के यह दावे भारतीय वायुसेना के लिए एक चेतावनी के समान हैं. IDRW की रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत अपने लड़ाकू बेड़े के आधुनिकीकरण में देरी करता है, तो आने वाले वर्षों में PAF को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है.
अब देखना यह होगा कि भारतीय वायुसेना इस चुनौती का किस तरह से जवाब देती है और अपनी रणनीति को किस दिशा में आगे बढ़ाती है.
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