पाकिस्तान में होगा 'मौत का तांडव'! खौफ खाए पूर्व मंत्री ने दे दी गीदड़भभकी; भारत के एक्शन से थर्रा रहे

    कश्मीर की वादियों में बहती हवाओं को 22 अप्रैल को खून ने दहला दिया. पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 मासूम लोगों की जान चली गई, जिनमें विदेशी सैलानी भी शामिल थे.

    Pakistan former minister issued threat
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    कश्मीर की वादियों में बहती हवाओं को 22 अप्रैल को खून ने दहला दिया. पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 मासूम लोगों की जान चली गई, जिनमें विदेशी सैलानी भी शामिल थे. इस क्रूर हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और अब भारत का धैर्य जवाब दे चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक के बाद भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि अब आतंक के पीछे छिपे आकाओं को भी बख्शा नहीं जाएगा.

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीखा संदेश देते हुए कहा कि इस हमले में शामिल आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा और उन्हें पनाह देने वालों को भी कीमत चुकानी होगी. भारत के सख्त रुख का असर सीमा पार भी साफ नजर आ रहा है—पाकिस्तान में घबराहट का माहौल है और राजनैतिक बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है.

    फवाद हुसैन ने जारी किया बयान

    पाकिस्तान के पूर्व मंत्री और इमरान खान की पार्टी पीटीआई के नेता फवाद हुसैन ने एक के बाद एक बयान जारी करते हुए भारत को चेतावनी देने की कोशिश की है. उन्होंने दावा किया कि चाहे देश की राजनीति में कितनी भी खाई हो, लेकिन भारत के खिलाफ पाकिस्तान एकजुट रहेगा. एक्स पर फवाद ने लिखा, "अगर भारत हमला करता है या धमकी देता है, तो पीएमएल-एन, पीपीपी, पीटीआई, जेयूआई जैसे सभी दल एकजुट होकर मातृभूमि की रक्षा करेंगे."

    हालांकि फवाद हुसैन की बातों में एक चीज साफ नदारद रही—हमले की निंदा. उन्होंने न तो हमले में मारे गए मासूमों के लिए कोई संवेदना जताई, न ही उन आतंकियों के खिलाफ कोई शब्द कहा जो लश्कर-ए-तैयबा की छाया में 'TRF' के नाम से घाटी में दहशत फैला रहे हैं.

    सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से निलंबित

    भारत ने इस हमले को सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से नहीं, बल्कि एक नैतिक प्रश्न के रूप में भी देखा है. यही वजह है कि मोदी सरकार ने भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से मिलिट्री अटैशे और अन्य कई राजनयिकों को देश छोड़ने के आदेश दे दिए गए हैं.

    इस पर प्रतिक्रिया देते हुए फवाद हुसैन ने एक बार फिर बयान दिया कि भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और इसका असर पाकिस्तान के गरीब किसानों पर पड़ेगा. लेकिन, भारत का संदेश स्पष्ट है—जब तक सीमा पार से आतंक की नदियां बहती रहेंगी, तब तक भारत की ओर से बहने वाली जलधाराएं भी रोक दी जाएंगी.

    फिलहाल पाकिस्तान की सरकार जहां एक ओर सुरक्षा समिति की बैठकें कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसकी राजनीतिक मशीनरी भारत को 'शांत रहने' की सलाह दे रही है. लेकिन, पहलगाम में बहा खून अब किसी भी सलाह को सुनने को तैयार नहीं. भारत अब कूटनीति की नहीं, निर्णायक कार्रवाई की भाषा बोल रहा है.

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