Operation Sindoor: एक बार फिर पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणाली—चीनी निर्मित HQ-9 एयर डिफेंस रडार—बेखबर साबित हुई है. भारतीय वायुसेना ने हाल ही में PoK और पंजाब में नौ आतंकवादी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत बेमिसाल एयर स्ट्राइक की, लेकिन HQ-9 को इस कार्रवाई का पता तक नहीं चला.
पुराने विवादों का जिक्र
जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों पर वार किया, तो HQ-9 रडार व्यवस्था को भी कुछ पता नहीं चला—पाक रक्षा अधिकारियों ने बाद में जाकर इसकी जानकारी ली थी.
HQ-9 सिस्टम की टेक्निकल सीमाएँ
रेंज व दक्षता: दावा है 125–200 किमी तक मिसाइल इंटरसेप्शन, लेकिन सुपरसोनिक ब्रह्मोस और रफ़्तारदार लड़ाकू विमानों को ट्रैक नहीं कर पाया.
तैनाती में विलंब: S-400 जैसा अत्याधुनिक सिस्टम 5 मिनट में तैयार हो जाता है, वहीं HQ-9 को ऑपरेशनल स्थिति में लाने में 35 मिनट लगते हैं.
खामी की लंबी लिस्ट:
388 दोष चीनी निर्माता CPMIEC को रिपोर्ट किए गए (2014–2016 के बीच खरीदे गए 9 LY-80 LOMADS में से). इनमें से 255 दोष सुधरवाने के लिए पाक सेना को चीन से गुहार लगानी पड़ी. स्पेयर पार्ट्स का अभाव और तकनीकी सहायता टीम की कमी अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है.
क्यों नहीं टिका HQ-9?
रडार टेक्नोलॉजी: पारंपरिक AESA रडार की जगह पुराने पैटर्न रडार, जो तेज़ लक्ष्यों पर लॉक नहीं कर पाया. रफ्तार और स्टील्थ: भारत की ब्रह्मोस, आधुनिक लड़ाकू विमानों की स्टील्थ क्षमताएँ HQ-9 रडार की कवरेज से बाहर रही. रख-रखाव की दिक्कतें: चीन द्वारा सप्लाई किए गए सिस्टम में लगातार आउटेज और मेंटेनेंस लेट दरों ने जवाबी कार्रवाई धीमी कर दी.
भारत की प्रतिक्रिया व रणनीति
SEAD मिशन: सुखोई-30 MKI द्वारा Kh-31P एंटी-रेडिएशन मिसाइलें HQ-9 रडार साइट्स पर प्रहार कर रडार को निष्क्रिय कर देती हैं. उन्नत एयर डिफेंस: भारत का S-400 सिस्टम (400 किमी रेंज, मल्टी-AESA रडार) पाकिस्तानी F-16 विमानों से लेकर मिसाइल दंगल तक सब पर हावी है. सतत निरीक्षण: भारतीय नेवी सैटेलाइट और ड्रोन आधारित ISR (इंटेलिजेंस-सर्वेलांस-रिइकॉनिसंस) से सतर्कता.
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