चीन ने ही की 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान की मदद! भारत ने किया था खुलासा

    भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच, चीन ने भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह के हालिया दावों को खारिज किया है, जिनमें उन्होंने यह आरोप लगाया था कि चीन ने "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान पाकिस्तान को सक्रिय सैन्य सहयोग प्रदान किया और संघर्ष को हथियार प्रणालियों के परीक्षण के लिए एक "लाइव लैब" के रूप में इस्तेमाल किया.

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    भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच, चीन ने भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह के हालिया दावों को खारिज किया है, जिनमें उन्होंने यह आरोप लगाया था कि चीन ने "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान पाकिस्तान को सक्रिय सैन्य सहयोग प्रदान किया और संघर्ष को हथियार प्रणालियों के परीक्षण के लिए एक "लाइव लैब" के रूप में इस्तेमाल किया.

    चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें इस बयान की कोई जानकारी नहीं है. माओ ने कहा, "आपके द्वारा जिन बयानों का उल्लेख किया गया है, मैं उनसे अवगत नहीं हूं." उन्होंने आगे कहा कि "चीन और पाकिस्तान के बीच पारंपरिक मित्रता है और दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है, जो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है."

    भारत-चीन संबंधों में सुधार की बात

    माओ निंग ने यह भी कहा कि भारत और चीन के संबंध "सुधार और विकास के महत्वपूर्ण दौर" में हैं और बीजिंग नई दिल्ली के साथ द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर वृद्धि की दिशा में काम करेगा. उन्होंने उन खबरों पर भी प्रतिक्रिया दी, जिनमें दावा किया गया था कि चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमानों के प्रदर्शन पर संदेह फैलाने के लिए अपने दूतावासों को जिम्मेदारी सौंपी है. माओ ने इस पर भी कोई जानकारी होने से इनकार किया.

    जनरल राहुल आर. सिंह के आरोप

    पिछले सप्ताह दिल्ली में एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए, भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान "मुखौटा" है, और चीन इस्लामाबाद को हरसंभव सैन्य सहायता दे रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि तुर्की ने भी पाकिस्तान को सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति की है. जनरल सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि भारत को 7-10 मई के संघर्ष के दौरान कम से कम तीन अलग-अलग शत्रुओं से मुकाबला करना पड़ा था.

    जनरल सिंह ने यह आरोप लगाया कि चीन ने भारतीय सैन्य तैनाती की निगरानी करने के लिए अपने उपग्रहों का इस्तेमाल किया, जबकि पाकिस्तानी सेना को डीजीएमओ (सैन्य संचालन महानिदेशक) स्तर की फोन वार्ता के माध्यम से सीधे जानकारी मिल रही थी.

    चीन का दृष्टिकोण

    चीन ने इस मामले में अपने पारंपरिक समर्थन को दोहराते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच संबंधों को लेकर भारत को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. माओ निंग ने कहा कि भारत और पाकिस्तान हमेशा एक-दूसरे के पड़ोसी रहेंगे और चीन इन दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने यह भी कहा कि चीन, भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की ओर बातचीत बढ़ाने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए काम कर रहा है. माओ ने कहा, "चीन, भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों को उचित तरीके से सुलझाने और बातचीत के माध्यम से समाधान ढूंढने का समर्थन करता है." चीन ने इस दिशा में रचनात्मक भूमिका निभाने की इच्छा जताई है.

    ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि

    भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकी ढांचों को निशाना बनाते हुए 7 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" की शुरुआत की थी. यह कार्रवाई 4 दिनों तक जारी रही और अंततः 10 मई को सैन्य कार्रवाई को रोकने पर सहमति बनने के साथ समाप्त हो गई. यह घटनाक्रम भारत, पाकिस्तान और चीन के रिश्तों में एक नया मोड़ पेश करता है, खासकर तब जब भारत और चीन के संबंध पहले ही सीमा विवादों के कारण तनावपूर्ण हैं. अब देखना यह होगा कि इस विवाद का राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान कैसे निकाला जाता है.

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