ईरान के साथ तनाव का माहौल सिर्फ इजरायल और अमेरिका तक सीमित नहीं रहा है, अब ब्रिटेन भी इस खतरे की जद में है. हाल ही में ब्रिटिश संसद द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि ईरान ब्रिटेन के खिलाफ साजिश रचने में लगा हुआ है. रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ईरान ब्रिटेन में हमलों की साजिश कर सकता है, और अगर ब्रिटेन ने इजरायल का समर्थन किया, तो ईरान इस पर हमला करने से पीछे नहीं हटेगा.
ब्रिटेन के लिए ईरान का खतरा
ब्रिटेन की संसद ने हाल ही में ईरान को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर हमले कर सकता है और साइबर अटैक के जरिए देश की सुरक्षा को चुनौती दे सकता है. यह भी कहा गया है कि ईरान ब्रिटेन को उतना ही गंभीर खतरा मानता है, जितना रूस और चीन. ब्रिटिश संसद के इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि ईरान ब्रिटेन के नागरिकों पर हमले करा सकता है, और इसके पीछे ईरानी सरकार का हाथ हो सकता है.
संसदीय रिपोर्ट दो साल की जांच के बाद
यह रिपोर्ट दो साल की कड़ी जांच और विश्लेषण के बाद तैयार की गई है. इसमें ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों और ईरान मामलों के विशेषज्ञों से जुटाई गई जानकारी शामिल की गई है. रिपोर्ट में यह कहा गया है कि ईरान ब्रिटेन में रहने वाले ईरानी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के लिए 'वुल्फ अटैक' जैसी रणनीतियों का इस्तेमाल कर सकता है. इसके अलावा, ईरान ने पहले ही धमकी दी थी कि यदि ब्रिटेन ने इजरायल के हवाई हमलों को समर्थन दिया, तो उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जाएगा.
ब्रिटेन ने लगाए थे प्रतिबंध
इससे पहले ब्रिटिश सरकार ने कुछ ईरानी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे, जिन पर ब्रिटेन में आपराधिक साजिश रचने का आरोप था. जनवरी 2024 में ब्रिटेन ने कई ईरानी नागरिकों को गिरफ्तार भी किया था, जिनके खिलाफ आरोप थे कि वे ब्रिटेन में आतंकवादी गतिविधियों की योजना बना रहे थे. इसके बाद, MI5 के प्रमुख केन मैक्कलम ने यह बयान दिया था कि पिछले दो सालों में ईरान ने ब्रिटेन में लगातार साजिशों को अंजाम दिया है. इससे यह स्पष्ट हो गया कि अब ईरान सिर्फ मध्य-पूर्व देशों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यूरोपीय देशों के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुका है.
ईरान का उद्देश्य और पश्चिमी देशों से संघर्ष
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई ने पहले भी यह कहा था कि उनका देश पश्चिमी देशों के चक्रव्यूह को तोड़ने का इरादा रखता है. उनका मानना है कि जिन देशों ने इजरायल और अमेरिका का समर्थन किया, उनकी खैर नहीं है. ऐसे में ब्रिटेन के लिए यह खतरे की घंटी है, क्योंकि अगर उन्होंने इजरायल का समर्थन किया, तो ईरान की कार्रवाई से वे बच नहीं सकेंगे.
नतीजा: बढ़ता तनाव
यह स्थिति यह साबित करती है कि इजरायल, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच खड़ा हुआ यह संकट केवल मध्य-पूर्व तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. ईरान के खिलाफ हो रही साजिशें और ब्रिटेन की रिपोर्ट में आए खुलासे, वैश्विक राजनीति में और भी तनाव को बढ़ा सकते हैं. अब यह देखना होगा कि ब्रिटेन इस खतरे से निपटने के लिए क्या कदम उठाता है, और यह मामला आगे कैसे बढ़ता है.
यह भी पढ़ें: ट्रंप को मिलेगा नोबल शांति पुरस्कार? मुनीर के बाद नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति को किया नोमीनेट