Operation Sindoor: भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ पाकिस्तान की सैन्य ताकत को झटका दिया, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था की नींव तक हिला दी है. हालांकि शनिवार शाम पांच बजे के बाद से भारत-पाक के बीच कोई सैन्य झड़प या ड्रोन हमला नहीं हुआ है और दोनों ओर से यह दावा किया जा रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है. लेकिन इस सैन्य अभियान ने पाकिस्तान के बाजार और निवेशकों को जो आर्थिक चोट पहुंचाई है, उसकी भरपाई इतनी जल्दी नहीं हो पाएगी.
शेयर बाजार की कराह - तीन दिनों में धड़ाम
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE) में भारी गिरावट देखने को मिली. 6 मई की रात जब भारत ने सैन्य कार्रवाई की शुरुआत की, उसके ठीक अगले दिन यानी 7 मई को केएसई में 3,500 अंकों से ज्यादा की गिरावट आई. फिर 8 मई को हालात और बिगड़े और गिरावट का आंकड़ा 6,400 अंक पार कर गया. इतनी तीव्र गिरावट के चलते एक समय बाजार में ट्रेडिंग तक रोकनी पड़ी.
हालांकि 9 मई को आईएमएफ बेलआउट पैकेज की उम्मीद के कारण शेयर बाजार कुछ सुधरा और करीब 3,600 अंकों की रिकवरी देखने को मिली, लेकिन कुल मिलाकर इन तीन कारोबारी दिनों में कराची स्टॉक एक्सचेंज 6,400 अंकों से ज्यादा फिसल गया.
निवेशकों की जेब पर 80 हजार करोड़ रुपए की चोट
शेयर बाजार की इस गिरावट का सबसे बड़ा असर वहां के निवेशकों पर पड़ा. 6 मई को KSE-100 इंडेक्स की कुल वैल्यूएशन लगभग 50.67 अरब डॉलर थी, जो 9 मई तक घटकर 47.82 अरब डॉलर रह गई. यानी तीन दिनों में लगभग 2.85 अरब डॉलर (लगभग 80,000 करोड़ पाकिस्तानी रुपए) का सीधा नुकसान हुआ.
यह आंकड़े दिखाते हैं कि पाकिस्तान की आर्थिक रीढ़ को कितना बड़ा झटका लगा है, जबकि यह सिर्फ शेयर बाजार का हिस्सा है. अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि पाकिस्तान की वायुसेना, ड्रोन यूनिट, या बुनियादी ढांचे को कितना बड़ा नुकसान हुआ है. लेकिन जानकारों का मानना है कि एयरस्पेस और एयरपोर्ट्स के अस्थायी बंद होने से भी अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हो चुका है.
आर्थिक मोर्चे पर भी भारत का पलड़ा भारी
यह साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि इससे पाकिस्तान को रणनीतिक और आर्थिक रूप से भी गहरी चोट पहुंचाई गई है. आने वाले दिनों में जैसे-जैसे नुकसान का विस्तृत आकलन सामने आएगा, यह और स्पष्ट होगा कि पाकिस्तान को इस पूरे टकराव में कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है.
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