पाकिस्तान को ले डूबा चाइना का माल! भारत के आगे कहां हुआ पस्त, जानें

    Operation Sindoor: पाकिस्तान ने सोचा था कि भारत के हमले से चाइना या फिर उसके हथियार उसे बचाने में कामयाब होंगे. लेकिन शायद शहबाज और मुनीर यह नहीं जानते कि चाइना का माल चार दिन से ज्यादा समय तक नहीं चलता बहरहाल जो होना था उसका अंंजाम आज दुनिया देख रही है.

    Pakistan Defence System HQ 9 Missile over attack
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    Operation Sindoor: पाकिस्तान ने सोचा था कि भारत के हमले से चाइना या फिर उसके हथियार उसे बचाने में कामयाब होंगे. लेकिन शायद शहबाज और मुनीर यह नहीं जानते कि चाइना का माल चार दिन से ज्यादा समय तक नहीं चलता बहरहाल जो होना था उसका अंंजाम आज दुनिया देख रही है. आपको बताा दें कि पाकिस्तान को चाइना पर आंख मूंंद कर भरोसाा है. लिहाजा चीन में तैयार हुए HQ-9 लांग रेंज एयर डिफेंस सिस्टम पर कड़ा भरोसा जताया था. लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने साबित कर दिया कि यह सिस्टम भारत की उन्नत मिसाइल क्षमताओं के सामने टिक नहीं पाया.

    बढ़ते तनाव का परिदृश्य

    22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत–पाक सीमा पर खिंची तलवार फिर तेज हो गई। आतंकियों के नापाक हमले का बदला लेने के इरादे से भारत ने पाकिस्तान और PoK के नौ आतंकवादी अड्डों पर एयर स्ट्राइक की, जिसमें बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद प्रमुख थे. पाकिस्तानी सेना ने पहले ही अपने महत्वपूर्ण ठिकानों—कराची, रावलपिंडी और सीमा क्षेत्रों—की हवाई रक्षा के लिए HQ-9 बैटरियों की तैनाती की थी, ताकि भारत के राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस हमलों को रोका जा सके. 

    HQ-9: क्षमता और कमियां

    • रेंज: 125–200 किमी
    • ट्रैकिंग: एक साथ 100 तक लक्ष्यों पर नज़र रख सकता है
    • तैनाती समय: लगभग 35 मिनट
    • रडार: पारंपरिक AESA नहीं, जिससे तेज़ सुपरसोनिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में दिक्कत होती है
    • इसके विपरीत, भारत का S-400 एयर डिफेंस सिस्टम 400 किमी रेंज के साथ अत्याधुनिक मल्टी-AESA रडार से लैस है, जो मिनटों में लड़ाकू विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट कर सकता है.
    • भारत की SEAD रणनीति की कारगुज़ारी
    • भारत ने HQ-9 बैटरियों को निष्क्रिय करने के लिए SEAD (Suppression of Enemy Air Defense) मिशन चलाया:

    सुखोई-30 MKI विमानों द्वारा Kh-31P एंटी-रेडिएशन मिसाइल दागकर रडार को निशाना बनाया. स्वदेशी रुद्रम-1 लॉन्ग रेंज सुपरसोनिक मिसाइल ने एयर डिफेंस साइटों को तहस-नहस किया. इन हमलों के बाद ब्रहमोस मिसाइलों ने आतंकवादी शिविरों पर सीधे प्रहार किया. इस त्रिमार्गी हमले में HQ-9 ने रडार निशान दे भी दिए, पर प्रतिक्रिया देने और मिसाइलों को बाधित करने में नाकाम रहा.

    चीनी निर्मित हथियार बनाम भारतीय तकनीक

    गुणवत्ता का अंतर: पाकिस्तान अपनी 95% से अधिक सैन्य जरूरतें चीन पर निर्भर करता है, लेकिन चीनी सिस्टम अक्सर विश्वसनीयता के मामले में पिछड़ जाते हैं. ब्रहमोस, अस्त्र और रुद्रम: ये मिसाइलें भरपूर गतिशीलता, स्टील्थ और सटीक गाइडेंस के चलते HQ-9 जैसे सिस्टम के लिए सबसे बड़े चैलेंज हैं. 

    इंडियन एयर फ़ोर्स की दमदार मौजूदगी

    राफेल और सुखोई-30 MKI: ये विमानों से बाहर रहकर स्कैल्प, मेटेओर और R-77 जैसी मिसाइलें दागने की क्षमता ने भारतीय हवाई श्रेष्ठता को नए मुकाम पर पहुंचाया. S-400 का असर: दुश्मन को अपने ठिकानों को पीछे हटाकर रखवाला करना पड़ा, क्योंकि भारत का S-400 रेंज और रडार क्षमता से 60% अधिक कवरेज प्रदान करता है.

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