नई दिल्लीः भारत और तुर्किए के बीच रिश्तों में इन दिनों कड़वाहट साफ़ देखी जा सकती है. वजह है तुर्किए का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना—वो भी ऐसे वक्त में जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. पाकिस्तान को तुर्किए की ओर से ड्रोन्स की आपूर्ति और उनका भारत में उपयोग करने की कोशिश के बाद भारतीय जनता और संस्थानों में नाराज़गी साफ़ झलक रही है.
जहां एक ओर भारत ने 2023 में विनाशकारी भूकंप के दौरान तुर्किए की खुले दिल से मदद की थी, वहीं अब तुर्किए के कदमों को भारत में 'विश्वासघात' के रूप में देखा जा रहा है. इसके परिणामस्वरूप देशभर में तुर्किए का आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर बहिष्कार शुरू हो गया है.
व्यापार और आयात पर सीधा असर
तुर्किए से आने वाले सेबों का कई राज्यों में बहिष्कार शुरू हो गया है. गाजियाबाद, पुणे और अन्य शहरों के व्यापारियों ने तुर्किए से आयात रोका है, जबकि हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक संघ ने सरकार से तुर्किए के सेबों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है. हर साल लगभग 1000-1200 करोड़ रुपये के सेब खरीदे जाते थे, जो अब खतरे में हैं.
राजस्थान के उदयपुर में व्यापारियों ने तुर्किए से मार्बल का व्यापार भी बंद करने का फैसला किया है. यह निर्णय तुर्किए के पाकिस्तान समर्थन के विरोध में लिया गया है.
पर्यटन और फिल्म इंडस्ट्री पर भी प्रभाव
भारतीय सिनेमा की ओर से भी विरोध सामने आया है. फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलॉइज (FWICE) ने फिल्म निर्माताओं से तुर्किए में शूटिंग न करने की अपील की है. साथ ही, भारत से तुर्किए और अजरबैजान के शहरों में बुकिंग में 60% तक की गिरावट देखी गई है. यह ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए बड़ा झटका है.
शैक्षिक और राजनीतिक स्तर पर प्रतिक्रिया
दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) ने तुर्किए की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ हुआ शैक्षणिक समझौता समाप्त कर दिया है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस निर्णय को ‘राष्ट्रहित में लिया गया फैसला’ बताया है. वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार से तुर्किए पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने, उड़ान सेवाएं स्थगित करने और पर्यटन को हतोत्साहित करने की मांग की है.
शिवसेना ने भी मुंबई एयरपोर्ट प्रशासन को पत्र लिखकर तुर्किए से संबद्ध ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी पर कार्रवाई की मांग की है. साथ ही, तुर्किए के सरकारी चैनल TRT वर्ल्ड और अजरबैजान से जुड़े कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी भारत में बंद कर दिया गया है.
नुक़सान और असर
भारत में तुर्किए के बहिष्कार से अब तक अनुमानित तौर पर लगभग ₹32,000 करोड़ का नुकसान बताया जा रहा है. इसके अलावा अजरबैजान को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है क्योंकि उसने भी पाकिस्तान के समर्थन में तुर्किए का साथ दिया.
ये भी पढ़ेंः ऑपरेशन सिंदूर के बाद चमकी भारत की किस्मत, दुनिया को हथियार बेचने में लगाई बड़ी छलांग, देखें आंकड़े