नई दिल्ली: जब देश की सुरक्षा नीति के केंद्र में आत्मनिर्भरता और सटीक जवाब देने की रणनीति हो, तो उसका असर सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी दिखता है. हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत ने सिर्फ सैन्य दृढ़ता का परिचय नहीं दिया, बल्कि दुनिया को ये संदेश भी दिया है कि वह अब आयातक नहीं, निर्यातक राष्ट्र है, वो भी रक्षा क्षेत्र में.
भारत के रक्षा क्षेत्र से जुड़ी नई उपलब्धियों के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा निर्यात 23,622 करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया, जो कि 2.76 अरब डॉलर से अधिक है. यह न केवल अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है, बल्कि पिछले साल की तुलना में 12% की छलांग को भी दर्शाता है.
'मेक इन इंडिया' की सटीकता
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर करारी कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन में भारत ने देश में विकसित हथियार प्रणालियों और ड्रोन टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया.
India’s #DefenceExports surged from Rs 686 crore in 2013-14 to Rs 23,622 crore in 2024-25, a 34-fold increase. In 2024-25, private sector exports were Rs15,233 crore, and DPSUs Rs 8,389 crore, with DPSU exports growing 42.85%. Export authorisations rose by 16.92%, and exporters… pic.twitter.com/yDVYAwajxG
— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) May 13, 2025
विशेषज्ञों का कहना है कि इस ऑपरेशन की सफलता ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह विश्वास दिलाया कि भारत में निर्मित रक्षा प्रणालियां केवल प्रदर्शन तक सीमित नहीं, बल्कि लड़ाई के मैदान में सफलतापूर्वक परखी गई हैं. यही वजह है कि भारत के हथियार अब केवल अपने ही सैनिकों के हाथ में नहीं, बल्कि 80 से अधिक देशों की सेनाओं का हिस्सा बनने लगे हैं.
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े
रक्षा मंत्री और मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, यह उपलब्धि सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि एक रणनीतिक बदलाव की कहानी है. भारत अब आयात पर आधारित रक्षा नीति से आगे बढ़कर एक उत्पादक और आपूर्तिकर्ता राष्ट्र बन गया है.
निजी क्षेत्र और DPSU बदल रहे हैं तस्वीर
वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात में:
पिछले साल की तुलना में DPSUs ने 42.85% की वृद्धि दर्ज की है. यह उन संस्थानों के लिए एक बड़ा संदेश है, जो अब तक धीमी गति और लालफीताशाही से घिरे माने जाते थे.
अब भारत गोलाबारूद, राइफलें, रडार, ड्रोन, मिसाइल सिस्टम, सबसिस्टम्स और रणनीतिक उपकरणों का निर्माण कर रहा है—और इन्हें दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका, यूरोप, लैटिन अमेरिका के देशों तक पहुंचा रहा है.
विश्व मंच पर भारत की उभरती पहचान
भारत का रक्षा निर्यात आज वैश्विक कूटनीति का भी अहम हिस्सा बन चुका है. रक्षा उत्पादों के माध्यम से भारत:
रक्षा मंत्रालय का 'विजन 2029'
रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में X (पूर्व ट्विटर) पर अपने विजन को साझा करते हुए कहा: "भारत 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात को लक्षित कर रहा है. हमारा उद्देश्य सिर्फ निर्यात नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा विनिर्माण में नेतृत्व करना है."
इसके लिए मंत्रालय नीति सुधार, निर्यात प्रक्रिया में तेजी, टेस्टिंग और क्वालिटी कंट्रोल जैसे क्षेत्रों में गहरे बदलाव कर रहा है.
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