अरब दुनिया से पाकिस्तान को बड़ा झटका! भारत आ रहे इस मुस्लिम देश के विदेश मंत्री, जानिए क्यों चुना इंडिया को नया दोस्त?

    Badr Abdelatty India Visit: भारत की कूटनीति इस समय अंतरराष्ट्रीय मंच पर खास ध्यान आकर्षित कर रही है, खासकर जब मिस्र के नए विदेश मंत्री बद्र अब्देलती (Badr Abdelatty) 16 और 17 अक्टूबर को भारत के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर आ रहे हैं.

    Pakistan Arab world Foreign Minister Badr Abdelatty is coming to India he chose India friend
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    Badr Abdelatty India Visit: भारत की कूटनीति इस समय अंतरराष्ट्रीय मंच पर खास ध्यान आकर्षित कर रही है, खासकर जब मिस्र के नए विदेश मंत्री बद्र अब्देलती (Badr Abdelatty) 16 और 17 अक्टूबर को भारत के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर आ रहे हैं. यह दौरा न केवल दोनों देशों के बीच सहयोग और समझ को मजबूत करने का माध्यम है, बल्कि यह मध्य-पूर्व और इस्लामी दुनिया में हो रहे भू-राजनीतिक बदलावों का भी संकेत देता है. 

    इस यात्रा के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्रीय और वैश्विक परिदृश्य में मुस्लिम देशों की प्राथमिकताएं अब केवल धार्मिक या सांप्रदायिक मुद्दों तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि वे आर्थिक विकास, तकनीकी सहयोग और सुरक्षा मामलों को अधिक महत्व दे रहे हैं.

    बद्र अब्देलती कौन हैं?

    बद्र अब्देलती ने 2024 में मिस्र के विदेश मंत्री का पद ग्रहण किया. वे एक अनुभवी राजनयिक हैं, जिन्होंने यूरोप और अफ्रीका में मिस्र के हितों को मजबूती से आगे बढ़ाया है. यह भारत दौरा उनके कार्यकाल की पहली बड़ी एशियाई यात्रा है और इसे दोनों देशों ने “रणनीतिक संवाद” के तौर पर महत्व दिया है. काहिरा और नई दिल्ली दोनों इस यात्रा को भविष्य के लिए एक नए अध्याय के रूप में देख रहे हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक होगा.

    भारत-मिस्र संबंधों का ऐतिहासिक और समकालीन स्वरूप

    भारत और मिस्र दोनों ही प्राचीन सभ्यताओं के केंद्र रहे हैं. इनके बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध दशकों से विकसित होते आ रहे हैं. 1950 के दशक में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्देल नासिर के बीच मित्रता और साझेदारी ने गैर-संरेखित आंदोलन (Non-Aligned Movement-NAM) को मजबूत किया था. यह आंदोलन उन देशों का समूह था जो विश्व के दो बड़े सैन्य और राजनीतिक गुटों, अमेरिका और सोवियत संघ, से अलग अपनी स्वतंत्र नीति अपनाना चाहते थे. आज भी दोनों देशों की यह भावना जिंदा है, जो वैश्विक दक्षिण के हितों की रक्षा के लिए एकजुट हो रहे हैं.

    1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मिस्र की भूमिका

    1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान मिस्र ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उस समय मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्देल नासिर ने स्पष्ट रूप से भारत का समर्थन किया था, जबकि पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक सहायता देने से मना कर दिया था. नासिर ने पाकिस्तान को अमेरिका समर्थक गुट का हिस्सा माना और संयुक्त राष्ट्र में भी भारत के पक्ष में नरम रुख अपनाया. यह मिस्र का पहला बड़ा संकेत था कि वह पाकिस्तान को इस्लामी दुनिया का स्वाभाविक नेता नहीं मानता. इस फैसले ने पाकिस्तान को उस समय गंभीर कूटनीतिक झटका दिया.

    वर्तमान समय में भारत-मिस्र और पाकिस्तान-मिस्र संबंध

    आज के समय में मिस्र और पाकिस्तान के बीच रिश्ते औपचारिकता तक सीमित हैं. दोनों देशों के बीच व्यापारिक लेन-देन बेहद कम है और राजनीतिक बातचीत भी सीमित एवं ठंडी है. इसके विपरीत, भारत और मिस्र के संबंध कई क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहे हैं. रक्षा सहयोग, आतंकवाद विरोधी प्रयास, ऊर्जा क्षेत्र और व्यापार के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सक्रिय साझेदारी विकसित हो रही है.

    बद्र अब्देलती की भारत यात्रा को भारत-मिस्र संबंधों में एक नए दौर की शुरुआत माना जा रहा है. यह दौरा दोनों देशों के बीच ‘रणनीतिक साझेदारी’ के लिए महत्वपूर्ण कदम है, जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करेगा.

    भारत की कूटनीतिक सफलता और इस्लामी दुनिया में बदलाव

    बद्र अब्देलती की भारत यात्रा से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि इस्लामी दुनिया में परंपरागत “एकता” के पुराने मॉडल अब बदल रहे हैं. मिस्र जैसे बड़े मुस्लिम देश अब पाकिस्तान की कश्मीर मुद्दे पर चल रही “लॉबी” से दूरी बनाकर भारत के साथ आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग की नई संभावनाओं को तलाश रहे हैं. भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, स्थिर लोकतांत्रिक व्यवस्था और विश्व स्तर पर उसका सकारात्मक साख इसे इस्लामी देशों के लिए एक विश्वसनीय और आकर्षक साझेदार बना रही है.

    यह स्थिति पाकिस्तान के लिए एक बड़ा कूटनीतिक झटका है, जो दशकों से इस्लामी दुनिया में अपनी पकड़ बनाए रखने और कश्मीर मुद्दे को समर्थन दिलाने की कोशिश कर रहा था. भारत के साथ मिस्र जैसे देश के बढ़ते संबंध न केवल पाकिस्तान के विदेशी नीति के पुराने एजेंडे को चुनौती देते हैं, बल्कि यह दक्षिण एशियाई और मध्य-पूर्वी भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव का सूचक भी हैं.