जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा और निर्णायक कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को समाप्त कर दिया और पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी को रोकने का फैसला किया.
भारत का आतंकिस्तान के लिए साफ संदेश
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि दशकों तक एक "कूटनीतिक चमत्कार" मानी जाती रही है, जिसे दोनों देशों ने युद्धों के दौरान भी निभाया. लेकिन जब एक देश आतंक को शह देता रहे और निर्दोषों की हत्या उसकी सरज़मीं से होने लगे, तो ऐसे समझौतों का क्या औचित्य रह जाता है? भारत ने साफ संकेत दिया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को पूरी तरह खत्म नहीं करता, तब तक सिंधु जल समझौते पर कोई बातचीत संभव नहीं होगी.
इन तीन जगहों पर गिड़गिड़ाएगा पाकिस्तान
इस फैसले के तुरंत बाद पाकिस्तान में पानी की भारी किल्लत के संकेत मिलने लगे हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अब इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने की तैयारी में है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ), वर्ल्ड बैंक, और संयुक्त राष्ट्र (UN) शामिल हैं. पाकिस्तान के कानून राज्य मंत्री अकील मलिक ने कहा कि भारत का यह फैसला “एकतरफा” है और यह संधि की मूल भावना के खिलाफ है.
भारत का पक्ष ज्यादा मजबूत
हालांकि भारत की ओर से अब तक इस फैसले पर कोई आधिकारिक कानूनी टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन केंद्रीय जल आयोग के पूर्व प्रमुख कुशविंदर वोहरा का मानना है कि भारत ने जो कदम उठाया है, वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर टिकाऊ है और भारत के पास इसके मजबूत तर्क हैं.
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