शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र ने कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. इसकी वजह है भारत की वह कोशिश जो नाकाम रही — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र इस घोषणापत्र में करवाना. वहीं पाकिस्तान ने जफराबाद एक्सप्रेस ट्रेन हादसे का उल्लेख करवा लिया, जो भारत के लिए एक असहज स्थिति बन गई. अब सवाल यह है कि भारत की बात क्यों नहीं मानी गई और SCO के दस्तावेज़ों में निर्णय कैसे लिए जाते हैं? आइए विस्तार से समझते हैं.
क्या है SCO घोषणापत्र और कैसे बनता है?
SCO (Shanghai Cooperation Organization) का संयुक्त घोषणापत्र एक ऐसा आधिकारिक दस्तावेज़ होता है जो हर साल संगठन की समिट के बाद जारी किया जाता है. इसमें सदस्य देशों की साझा सहमति से तय किए गए मुद्दे शामिल किए जाते हैं — जैसे सुरक्षा, आतंकवाद, व्यापार, संपर्क, सांस्कृतिक सहयोग आदि.
सबसे अहम बात यह है कि इस घोषणापत्र में किसी भी मुद्दे को शामिल करने के लिए सभी सदस्य देशों की सर्वसम्मति जरूरी होती है. यदि एक भी देश किसी प्रस्तावित मुद्दे पर आपत्ति करता है, तो वह मुद्दा हटा दिया जाता है.
तो पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र क्यों नहीं हुआ?
9 जून 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की भारत ने कड़ी निंदा की थी और इसे SCO घोषणापत्र में शामिल करने की कोशिश की. लेकिन संभावना है कि पाकिस्तान और शायद चीन ने इस पर आपत्ति जताई हो, जिसके कारण यह मुद्दा दस्तावेज़ में नहीं आ पाया.
SCO की कार्यप्रणाली ही ऐसी है कि सर्वसम्मति के बिना कोई भी विषय अंतिम दस्तावेज़ में नहीं जा सकता, चाहे वह आतंकवाद जैसी गंभीर चिंता ही क्यों न हो.
घोषणापत्र तैयार करने की प्रक्रिया क्या होती है?
प्रारंभिक मसौदा तैयार करना – सदस्य देशों के विदेश मंत्रालयों के अधिकारी मिलकर एक ड्राफ्ट तैयार करते हैं. इसमें हर देश अपने सुझाव और प्राथमिकताएं जोड़ता है.
बातचीत और समीक्षा – कई दौर की बातचीत के बाद सहमत मुद्दों को मसौदे में रखा जाता है. जिन बातों पर असहमति होती है, उन पर अलग से चर्चा होती है.
शब्दों पर विशेष ध्यान – कई बार केवल किसी घटना को किस शब्द से वर्णित किया जाए, इसी पर लंबी बहस होती है. जैसे "आतंकी हमला" या "हिंसक घटना" — इसका निर्धारण भी सर्वसम्मति से होता है.
अंतिम मंजूरी – जब सभी देशों की सहमति बन जाती है, तब इस मसौदे को मंत्रिस्तरीय या राष्ट्राध्यक्ष स्तर की बैठक में प्रस्तुत किया जाता है और अंतिम रूप दिया जाता है.
घोषणा और दस्तखत – समिट के अंतिम दिन घोषणापत्र को औपचारिक रूप से अपनाया जाता है और सार्वजनिक किया जाता है.
तो फिर जफराबाद एक्सप्रेस का जिक्र कैसे शामिल हो गया?
पाकिस्तान ने इस घटना को एक ‘मानवीय त्रासदी’ के रूप में प्रस्तुत किया — न कि किसी आतंकवादी या राजनीतिक घटना के रूप में. इसलिए SCO के सामान्य शोक-संवेदना वाले हिस्से में इसे शामिल किया गया.
भारत ने इस पर आपत्ति नहीं जताई क्योंकि:
भारत की SCO में नीति क्या है?
भारत आमतौर पर तभी आपत्ति करता है जब:
ऐसे मामलों में भारत अक्सर अपनी अलग प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट कर देता है — यह एक सामान्य कूटनीतिक कदम होता है.
SCO में कौन-कौन से देश शामिल हैं?
वर्तमान में SCO के 9 सदस्य देश हैं:
भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कज़ाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और ईरान.
पर्यवेक्षक देश: अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया
(बेलारूस को 2025 में पूर्ण सदस्य बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है)
डायलॉग पार्टनर देश: 14 देश – जैसे श्रीलंका, नेपाल, तुर्की, मिस्र, सऊदी अरब, यूएई आदि.
इस संगठन की स्थापना 2001 में हुई थी और इसका मुख्यालय बीजिंग, चीन में स्थित है.
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