जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न केवल देश को झकझोर कर रख दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी हलचल पैदा कर दी है. इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में वैश्विक ताकतों की प्रतिक्रियाएं स्पष्ट रूप से दो ध्रुवों में बंटी नजर आ रही हैं. एक ओर अमेरिका है, जिसने भारत के आत्मरक्षा अधिकार का समर्थन किया है, और दूसरी ओर चीन है, जो एक बार फिर पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आ रहा है.
अमेरिका ने दिया भारत को नैतिक और रणनीतिक समर्थन
1 मई 2025 को अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बातचीत की. इस चर्चा के दौरान हेगसेथ ने कहा कि अमेरिका भारत के आत्मरक्षा के अधिकार और आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई में पूर्ण समर्थन करता है. राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि पाकिस्तान अब दुनिया के सामने एक दुष्ट राष्ट्र के रूप में बेनकाब हो चुका है, जो लंबे समय से आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षण, शरण और आर्थिक सहायता देता आ रहा है. रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि भारत ने यह भी ज़ोर दिया है कि वैश्विक समुदाय को अब आतंकवाद पर चुप्पी नहीं साधनी चाहिए, बल्कि एक स्वर में उसकी निंदा करनी चाहिए.
राजनाथ सिंह की सख्त चेतावनी
राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि यह समय "तटस्थ रहने" का नहीं है. उन्होंने हेगसेथ को याद दिलाया कि दुनिया अब इस खतरे को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती, और पाकिस्तान की आतंक समर्थक नीतियों को उजागर करने की जरूरत है. अमेरिका की ओर से मिली प्रतिक्रिया भारत के लिए एक मजबूत कूटनीतिक समर्थन के रूप में देखी जा रही है.
चीन ने फिर थामा पाकिस्तान का हाथ
दूसरी ओर, चीन ने एक बार फिर पाकिस्तान को समर्थन देकर अपनी पुरानी नीति को दोहराया है. गुरुवार को इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राजदूत जियांग जेडोंग के बीच हुई बैठक के बाद यह स्पष्ट हुआ कि बीजिंग अभी भी पाकिस्तान के साथ खड़ा है. चीन ने पहले की तरह इस बार भी हमले की 'स्वतंत्र जांच' की बात उठाई, जो भारत के दृष्टिकोण से पाकिस्तान को बचाने की एक और रणनीति मानी जा रही है. बीजिंग का यह रुख नई बात नहीं है — वह लंबे समय से आतंकी समूहों पर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई रोकने में पाकिस्तान के लिए सुरक्षा कवच का काम करता आया है.
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