पुलिस के हत्थे चढ़ा 49000 करोड़ का घोटालेबाज, यूपी समेत 10 राज्यों के लोगों को लूटा, फिर भाग गया था पंजाब

    देश के निवेशकों को लुभावने सपनों के जाल में फंसाकर करीब 49 हजार करोड़ रुपये की ठगी करने वाली पर्ल्स एग्रोटेक कॉरपोरेशन लिमिटेड (PACL) कंपनी के प्रमुख निदेशक गुरजंत सिंह गिल को आखिरकार आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दबोच लिया है.

    PACL Director Gill Arrested in ₹49000 Crore Scam
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    लखनऊ: देश के निवेशकों को लुभावने सपनों के जाल में फंसाकर करीब 49 हजार करोड़ रुपये की ठगी करने वाली पर्ल्स एग्रोटेक कॉरपोरेशन लिमिटेड (PACL) कंपनी के प्रमुख निदेशक गुरजंत सिंह गिल को आखिरकार आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दबोच लिया है. शुक्रवार को पंजाब के मोहाली से हुई इस गिरफ्तारी ने घोटाले के शिकार लाखों लोगों में इंसाफ की आस जगाई है. कंपनी के खिलाफ दर्ज मुकदमों के बाद सरकार ने ईओडब्ल्यू को जांच सौंपी थी, और अब इस कार्रवाई से मामले में नया मोड़ आ गया है. आइए, इस बड़े घोटाले की पूरी कहानी को समझते हैं.

    कंपनी का पंजीकरण और तेजी से विस्तार

    ईओडब्ल्यू की जांच के अनुसार, गुरजंत सिंह गिल ने 25 अक्टूबर 2011 को राजस्थान के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से कंपनी का पंजीकरण कराया था, जबकि इसका कॉर्पोरेट कार्यालय नई दिल्ली की बारा खंभा रोड पर स्थित था. बाद में गिल ने अपने सहयोगी निदेशकों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश, असम, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे 10 राज्यों में शाखाएं खोल लीं. यह विस्तार इतना तेज था कि कंपनी ने जल्द ही देशभर में निवेशकों को आकर्षित करना शुरू कर दिया, लेकिन सब कुछ कानूनी ढांचे के बाहर.

    बिना पंजीकरण के बैंकिंग कारोबार की शुरुआत

    जांच में खुलासा हुआ कि कंपनी ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45 के तहत एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) के रूप में अनिवार्य पंजीकरण कराए बिना ही बैंकिंग जैसे कार्य शुरू कर दिए थे. उत्तर प्रदेश के महोबा, सुल्तानपुर, फर्रुखाबाद और जालौन जैसे जिलों में शाखाएं खोलकर कंपनी ने आकर्षक योजनाओं का प्रचार किया. निवेशकों को भूखंड (प्लॉट) देने का वादा करके उनसे पैसे जमा कराए गए और बदले में बॉन्ड रसीदें जारी की गईं. यह सब एक सुनियोजित जाल था, जो लोगों की मेहनत की कमाई को लूटने के लिए बुना गया.

    49 हजार करोड़ की ठगी

    कंपनी की 10 राज्यों में फैली शाखाओं ने निवेशकों से कुल मिलाकर लगभग 49 हजार करोड़ रुपये जमा कर लिए. लेकिन वादे के मुताबिक न तो कोई भूखंड दिया गया, न ही कोई अन्य लाभ. यहां तक कि निवेशकों की जमा रकम भी वापस नहीं की गई. लाखों लोग, जो गरीबी और मध्यम वर्ग से थे, अपने परिवार के भविष्य के सपनों के साथ ठगे गए. ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट्स से साफ है कि यह एक पोंजी स्कीम जैसा घोटाला था, जहां नए निवेशकों के पैसे से पुराने को लौटाने का भ्रम पैदा किया गया.

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