Operation Sindoor: भारत के साथ हाल ही में हुए सैन्य तनाव के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्पष्ट किया है कि उनका देश परमाणु हथियारों का इस्तेमाल आक्रामक उद्देश्यों के लिए नहीं करता. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम शांति और आत्मरक्षा की नीति पर आधारित है, न कि युद्ध छेड़ने के इरादे से. शनिवार को इस्लामाबाद में छात्रों को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा, हमारी परमाणु नीति रक्षात्मक है. जो लोग इसे हमले का साधन मानते हैं, वे गलत हैं. उन्होंने हालिया सैन्य तनाव का जिक्र करते हुए बताया कि भारत के हमलों में 55 पाकिस्तानी नागरिकों की मौत हुई है, लेकिन पाकिस्तान ने “मुंहतोड़ जवाब” दिया है.
भारत की कार्रवाई: ‘ऑपरेशन सिंदूर
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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत ने कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई की थी. इस हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी, जिसकी जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक आतंकी संगठन ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा बताया जाता है. भारत ने 7 मई को इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इनमें बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद का अड्डा भी शामिल था.
'सेना प्रमुख राष्ट्रपति बनेंगे'
पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज थी कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को पद से हटाकर सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को उनकी जगह राष्ट्रपति बनाया जा सकता है. इन अटकलों पर विराम लगाते हुए शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को The News को दिए इंटरव्यू में कहा, आसिम मुनीर ने कभी राष्ट्रपति बनने की इच्छा जाहिर नहीं की है और न ही ऐसी कोई योजना हमारे पास है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके, राष्ट्रपति जरदारी और सेना प्रमुख मुनीर के बीच “भरोसे और सम्मान” का रिश्ता है.
‘झूठे नैरेटिव’ के पीछे विदेशी साजिश
इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के गृह मंत्री मोसिन नकवी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट कर इन अफवाहों और दुष्प्रचार को “विदेशी दुश्मन एजेंसियों की साजिश” करार दिया. उन्होंने लिखा, हमें पता है इस झूठी मुहिम के पीछे कौन है. ये विदेशी एजेंसियों का काम है, लेकिन हम पाकिस्तान को फिर से मजबूत बनाने के लिए हर ज़रूरी कदम उठाएंगे. गौरतलब है कि आसिम मुनीर को वर्ष 2022 में तीन साल के लिए पाकिस्तान का सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था, जिसे बाद में पांच वर्षों तक के लिए बढ़ा दिया गया.
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