Operation Akhal:अखल की पहाड़ी पर सेना का ऑलआउट ऑपरेशन जारी, जानें क्यों लग रहा इतना समय; अभी और कितने आतंकी हैं छिपे?

    Operation Akhal: कुलगाम का अखल वन क्षेत्र अब सिर्फ एक घना जंगल नहीं रहा, बल्कि बीते चार दिनों से यह एक हाई अलर्ट युद्धक्षेत्र में तब्दील हो चुका है. यहां हर पेड़, हर चट्टान, हर गुफा शक के घेरे में है.

    Operation Akhal Army all-out operation continues on hill know details
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    Operation Akhal: कुलगाम का अखल वन क्षेत्र अब सिर्फ एक घना जंगल नहीं रहा, बल्कि बीते चार दिनों से यह एक हाई अलर्ट युद्धक्षेत्र में तब्दील हो चुका है. यहां हर पेड़, हर चट्टान, हर गुफा शक के घेरे में है. भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF की संयुक्त टीम इस इलाके में छिपे आतंकियों की तलाश में चौथे दिन भी जुटी है. यह मुठभेड़ अब कश्मीर घाटी के हाल के वर्षों के सबसे लंबे आतंकवाद-रोधी अभियानों में से एक बन गई है.

    तीन आतंकियों को ढेर किया जा चुका है, लेकिन खुफिया इनपुट के अनुसार, अभी भी कुछ आतंकी इलाके में छिपे हुए हैं. सवाल उठता है कि जब हाईटेक ड्रोन, हेलिकॉप्टर और प्रशिक्षित कमांडोज मैदान में हैं, तो यह ऑपरेशन इतना लंबा क्यों खिंच गया?

    क्या है 'ऑपरेशन अखल'?

    1 अगस्त को आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर सेना की 9 राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस की SOG और CRPF ने संयुक्त रूप से सर्च ऑपरेशन शुरू किया. आतंकियों ने खुद को घिरा देख फायरिंग शुरू कर दी, जिससे यह टकराव एक मुठभेड़ में बदल गया. अब तक तीन आतंकियों को मार गिराया गया है, जिनमें से एक की पहचान लश्कर-ए-तैयबा के हारिस नजीर डार के रूप में हुई है.

    क्यों इतना लंबा चल रहा है ऑपरेशन?

    सेना सूत्रों की माने तो "यह सिर्फ जंगल नहीं, बल्कि आतंकियों के लिए एक तैयार बंकर है."  

    घना जंगल और ऊबड़-खाबड़ इलाका: यहां छोटे-छोटे प्राकृतिक बंकर, गुफाएं और सुरंगें हैं जो आतंकियों को छिपने और बच निकलने का मौका देती हैं.

    ड्रोन की सीमित क्षमता: पेड़ों की घनी छांव में ड्रोन की निगरानी भी सीमित हो जाती है, जिससे आतंकियों की सटीक स्थिति जान पाना कठिन हो जाता है. सिविलियन और सैनिक सुरक्षा प्राथमिकता: सेना बहुत सतर्कता से कार्रवाई कर रही है ताकि नागरिकों को कोई नुकसान न हो और जवान भी अनावश्यक खतरे में न पड़ें.

    हाईटेक रणनीति: इस ऑपरेशन में रुद्र अटैक हेलिकॉप्टर, ड्रोन सर्विलांस, स्निफर डॉग्स, नाइट विजन गियर का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऑपरेशन की निगरानी खुद DGP नलिन प्रभात और 15वीं कोर के कमांडर कर रहे हैं.

    ऑपरेशन अब अंतिम मोड़ पर?

    सेना के अनुसार ऑपरेशन अब अपने अंतिम चरण में है. इलाके की पूरी घेराबंदी कर दी गई है और अब आतंकियों के बच निकलने की कोई संभावना नहीं है. लेकिन कार्रवाई धीमी और रणनीतिक रूप से की जा रही है ताकि जान-माल का अनावश्यक नुकसान न हो.

    हाल की बड़ी कार्रवाई

    इससे पहले, 28 जुलाई को श्रीनगर के हरवान क्षेत्र में ‘ऑपरेशन महादेव’ में तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए थे. 29 जुलाई को ‘ऑपरेशन शिवशक्ति’ में दो और आतंकवादी ढेर किए गए थे. अब ‘ऑपरेशन अखल’ इस साल का सबसे बड़ा और सबसे लंबा आतंकवाद-रोधी ऑपरेशन बनता जा रहा है.

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