Online Fraud In Kolkata: सोचिए, आप चैन से ऑफिस में बैठे हैं, और अचानक एक के बाद एक OTP आने लगें. पहले तो आप समझ नहीं पाते, फिर झटका लगता है, बैंक अकाउंट से लाखों रुपये निकल चुके हैं. कुछ ऐसा ही हुआ कोलकाता के सरसुना इलाके में रहने वाले पंकज कुमार के साथ. उनके पास दो क्रेडिट कार्ड थे, उन्होंने किसी को OTP नहीं दिया, न ही किसी संदिग्ध वेबसाइट पर क्लिक किया और फिर भी सिर्फ 20 मिनट में उनके खाते से 8.8 लाख रुपये उड़ गए.
पुलिस को शक है कि यह मामला सिम-स्वैप स्कैम या डेटा चोरी का हो सकता है. शुरुआती जांच में एक नाम सामने आया है, कार्तिक साबले. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. कोलकाता पुलिस के मुताबिक, इस तरह की ठगी अब तेजी से फैल रही है, जिसमें फर्जी कस्टमर केयर कॉल, सोशल इंजीनियरिंग और मोबाइल कंपनियों के कुछ अंदरूनी लोगों की मदद ली जाती है.
अगर आप भी सोचते हैं कि “मेरे साथ तो ऐसा नहीं हो सकता,” तो सावधान हो जाइए. तकनीक जितनी हमारी सहूलियत बढ़ा रही है, उतना ही धोखाधड़ी के रास्ते भी खोल रही है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ये सिम-स्वैप स्कैम कैसे काम करता है और इससे कैसे बचा जाए.
सिम-स्वैप स्कैम क्या होता है?
सिम-स्वैप स्कैम में अपराधी आपके मोबाइल नंबर को धोखे से अपने कब्जे में ले लेते हैं. वे मोबाइल कंपनी को कॉल करके खुद को आप साबित करते हैं और नई सिम जारी करवा लेते हैं. इसके बाद सारे बैंक OTP, पासवर्ड रिसेट लिंक और अलर्ट उन्हें मिलने लगते हैं. मतलब, अब आपका मोबाइल नंबर उनके हाथों में है, और वहीं से शुरू होती है लूट की असली कहानी.
ऐसे बचें सिम-स्वैप और क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से:
1. OTP, PIN, CVV किसी से साझा न करें
कोई भी बैंक या ई-कॉमर्स साइट आपको कॉल करके OTP या पासवर्ड नहीं मांगती. ऐसा हो तो तुरंत कॉल काटें और कार्ड के पीछे दिए गए नंबर पर खुद कॉल करें.
2. नेटवर्क अचानक जाए तो सतर्क हो जाएं
अगर आपके मोबाइल में अचानक नेटवर्क चला जाए या ‘No SIM’ दिखे, तो समझिए कुछ गड़बड़ है. तुरंत अपने मोबाइल ऑपरेटर से बात करें और सिम को लॉक या पिन से सुरक्षित करें.
3. छोटे लेन-देन को भी गंभीरता से लें
ठग अकसर छोटे अमाउंट से ट्रायल करते हैं. अगर कोई अजीब ट्रांजैक्शन दिखे, तो तुरंत बैंक को अलर्ट करें.
4. वर्चुअल या लिमिटेड कार्ड का इस्तेमाल करें
ऑनलाइन शॉपिंग के लिए वर्चुअल कार्ड या ऐसा कार्ड रखें जिसकी लिमिट कम हो. इससे अगर कार्ड डिटेल्स लीक भी हो जाएं तो बड़ा नुकसान नहीं होगा.
5. फोन को बनाएं डिजिटल फोर्ट
मोबाइल में कार्ड की डिटेल्स सेव न करें. सिक्योरिटी ऐप्स, पासवर्ड मैनेजर और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें.
6. फर्जी कॉल्स से सतर्क रहें
कोई भी खुद को बैंक कर्मचारी, सरकारी अफसर या अस्पताल से बताकर कॉल करे, तो भरोसा न करें. ऑफिशियल नंबर या वेबसाइट से ही पुष्टि करें.
7. ठगी हो जाए तो समय बर्बाद न करें
जैसे ही आपको ठगी का पता चले, तुरंत cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें और अपने बैंक को सूचित करें.
आखिर ये स्कैम इतना आसान कैसे हो जाता है?
कहावत है "जानकारी ही ताकत है", और यही ताकत आजकल अपराधियों के पास है, आपकी जानकारी. वो पहले आपका डेटा चुराते हैं, फिर मोबाइल नंबर पर कब्जा करते हैं. अगर उन्हें अंदर से किसी कर्मचारी की मदद मिल जाए, तो आपकी पूरी डिजिटल सुरक्षा कुछ ही मिनटों में ध्वस्त हो सकती है.
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