Indian Army Drone Warfare: 21वीं सदी का युद्ध अब सिर्फ बंदूक, टैंक और तोपों का नहीं रहा. बदलती तकनीक, तेज़ होती सैन्य प्रतिस्पर्धा और ड्रोन आधारित हमलों के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारतीय सेना अब अपने ढांचे में बड़ा और दूरगामी बदलाव करने जा रही है. आने वाले समय में पैदल सेना, तोपखाना और बख्तरबंद यूनिट्स में ड्रोन (UAV) और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को स्थायी और नियमित हथियार के रूप में शामिल किया जाएगा. इसका मकसद सैनिकों को आधुनिक युद्ध के लिए तैयार करना और हर मोर्चे पर तकनीकी बढ़त हासिल करना है.
सेना की रणनीति अब पारंपरिक से हटकर 'टेक्नोलॉजी इंटीग्रेटेड वारफेयर' की ओर बढ़ रही है, जहां सटीकता, गति और तकनीकी दक्षता युद्ध जीतने के प्रमुख घटक बन चुके हैं.
हल्की कमांडो बटालियन और नई ब्रिगेड संरचना की योजना
भारतीय सेना अब हल्की, तेज और घातक कमांडो बटालियन की दिशा में आगे बढ़ रही है, जो दुर्गम इलाकों में तेजी से तैनात हो सकें और कम संसाधनों में बड़ा असर छोड़ सकें. साथ ही, विभिन्न यूनिट्स को मिलाकर संगठित ब्रिगेड बनाए जाने की योजना है, जो साथ मिलकर समन्वित तरीके से ऑपरेशन को अंजाम देंगी.
सेना के सूत्रों के मुताबिक, आने वाले समय में विशेष आर्टिलरी यूनिट्स भी तैयार की जाएंगी, जिनका उद्देश्य भविष्य की तकनीकी और संकर युद्धों (Hybrid Warfare) में निर्णायक बढ़त हासिल करना होगा.
ड्रोन और काउंटर-ड्रोन बनेंगे हर यूनिट का हिस्सा
फिलहाल, भारतीय सेना में ड्रोन की तैनाती सीमित और विशिष्ट ऑपरेशनों तक ही रही है, लेकिन अब इन्हें मुख्य हथियारों की सूची में शामिल किया जा रहा है. इसका सीधा अर्थ यह है कि अब हर यूनिट में स्थायी रूप से प्रशिक्षित ड्रोन ऑपरेटर्स होंगे, और सैनिकों को अपने मूल कार्य से हटाकर ड्रोन संचालन जैसे कामों में नहीं लगाया जाएगा.
ड्रोन संचालन में विशेषज्ञता के साथ-साथ काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स को भी तैनात किया जाएगा, ताकि दुश्मन के ड्रोन या हमले को तुरंत जवाब दिया जा सके. हाल ही में पाकिस्तान और चीन की ओर से बढ़ते ड्रोन हमलों और निगरानी गतिविधियों को देखते हुए यह निर्णय बेहद रणनीतिक माना जा रहा है.
पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में हालात खराब
भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आम जनता महंगाई, खाद्य संकट और प्रशासनिक अस्थिरता से जूझ रही है. मुजफ्फराबाद, कोटली, रावलकोट जैसे इलाकों में सरकारी राशन महीनों से नहीं पहुंचा है और सब्सिडी वाला आटा 100 से 120 रुपये किलो तक बिक रहा है.
इन्हीं स्थितियों के बीच, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत जबर्दस्त जवाबी कार्रवाई की थी, जिसमें बड़ी संख्या में दुश्मन के ड्रोन, मिसाइलें और सैन्य ठिकाने तबाह किए गए थे. इस ऑपरेशन के बाद सरकार और सेना की ओर से सेना के आधुनिकीकरण और पुनर्गठन की योजनाओं को और तेजी से लागू करने पर बल दिया गया है.