पांच दिन बीत चुके हैं, और ईरान-इज़राइल के बीच की यह भयानक जंग अब किसी भी पल अंतरराष्ट्रीय तबाही का रूप ले सकती है. मिसाइलों और ड्रोन हमलों से आसमान गूंज रहा है, और जमीनी हालात नरक बन चुके हैं. सैकड़ों लाशें, हजारों घायल, और शहरों के शहर खामोशी से सिसक रहे हैं.
लेकिन इस विनाश के बीच... अब पूरी दुनिया की नजर एक सवाल पर है — क्या वाकई एक फोन कॉल इस जंग को रोक सकता है?
ईरान बोला – वॉशिंगटन सिर्फ एक फोन घुमा दे
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सोमवार को एक ऐसा बयान दे डाला जिसने वॉशिंगटन से लेकर येरूशलम और तेहरान तक हलचल पैदा कर दी. उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि अगर अमेरिका वाकई चाहता है कि यह युद्ध रुके, तो सिर्फ एक फोन कॉल ही काफी है.
उन्होंने अपनी एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा:
“अगर राष्ट्रपति ट्रंप कूटनीति में ईमानदार हैं और इस संघर्ष को रोकना चाहते हैं, तो अब उनका अगला कदम निर्णायक होगा.
नेतन्याहू को चुप कराना वॉशिंगटन के एक फोन कॉल का ही तो खेल है. इससे इस्लामिक रिपब्लिक और दुनिया को शांति की तरफ मोड़ा जा सकता है.” अराघची का ये बयान एक सीधी चुनौती है — एक ओर अमेरिकी शक्ति को, दूसरी ओर इज़रायली सत्ता को.
ट्रंप की सीधी धमकी – तेहरान छोड़ो अभी!
दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शांत नहीं बैठे. उन्होंने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर अपनी पुरानी कड़वी भाषा में चेतावनी दी:
“ईरान को मेरी दी गई डील पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए थे. अब ये शर्मनाक स्थिति बन गई है. इंसानी जानें बर्बाद हो रही हैं. मैंने बार-बार कहा — ईरान को परमाणु हथियार नहीं मिलना चाहिए. सभी लोगों को तुरंत तेहरान छोड़ देना चाहिए!”
ट्रंप का यह बयान केवल राजनीतिक या प्रचारात्मक नहीं, बल्कि ऐसा संदेश है जिससे मध्य पूर्व में भूचाल आ सकता है. इस वक्त तेहरान में हजारों लोग पलायन कर रहे हैं — पेट्रोल खत्म, एटीएम सूखे, और सड़कों पर मीलों लंबा जाम.
13 जून: वह दिन जब नरक फूटा
इस पूरे युद्ध की चिंगारी बनी थी 13 जून 2025 की रात, जब इज़रायल ने ईरान की परमाणु और सैन्य साइट्स पर अचानक हमला बोला. इस हमले को ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ कहा गया.
इसमें:
इन हमलों के जवाब में ईरान ने भी पीछे नहीं हटना चुना. उसने सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन तेल अवीव, हाइफा और अन्य शहरों पर दाग दिए. नतीजा – पूरे पश्चिम एशिया में आग और डर का माहौल.
विश्व शक्तियों की शांति की पुकार — लेकिन असर नहीं
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय यूनियन, और यहां तक कि रूस और चीन ने भी दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है. लेकिन इस वक्त धरती पर जो हालात हैं, वे किसी भी “शांति प्रस्ताव” की आवाज को बमों के शोर में दबा रहे हैं.
क्या एक कॉल वाकई काफ़ी है?
यह सबसे बड़ा सवाल है – क्या वॉशिंगटन से उठने वाला सिर्फ एक फोन कॉल नेतन्याहू को थाम सकता है? या फिर यह सब एक रणनीतिक दबाव बनाने की चाल है? एक तरफ ईरान अमेरिका को युद्ध रोकने की चाबी सौंप रहा है, वहीं ट्रंप ईरान को चेतावनी दे रहे हैं कि अगला कदम और भी भयावह होगा.
जंग अभी रुकी नहीं, पर उम्मीद बाकी है
जब बारूद के बीच कोई कहे कि “बस एक कॉल से सब रुक सकता है”, तो यह शब्द सियासत की चाल भी हो सकते हैं, और शांति की अंतिम उम्मीद भी. अब देखने वाली बात यही है — क्या अमेरिका फोन उठाएगा, या यह आग और भी देशों को निगल जाएगी?
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