पश्चिम एशिया में हाल ही में हुए इजराइल-ईरान संघर्ष पर अब इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद सैय्यद अल सुदानी ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने स्वीकार किया है कि इजराइल ने ईरान पर जो हमला किया था, वह इराक की इजाजत के बिना हुआ और उनकी सरकार चाहकर भी उसे रोक नहीं सकी—क्योंकि उनके पास उसे रोकने के लिए जरूरी सैन्य टेक्नोलॉजी ही नहीं थी.
बीबीसी परसियन को दिए गए एक इंटरव्यू में सुदानी ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को लेकर भी अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि “खामेनेई को खत्म करना आसान नहीं है. ये मामला सद्दाम हुसैन जैसा नहीं है. उनके पीछे जनता का समर्थन है—even विपक्ष उनके साथ खड़ा है.”
"खामेनेई को मारने का मतलब है पूरे क्षेत्र को आग में झोंक देना"
प्रधानमंत्री सुदानी के मुताबिक, अली खामेनेई की राजनीतिक और सामाजिक पकड़ ईरान में बेहद मजबूत है. उन्होंने कहा, "उनकी जड़ें ईरान के समाज में बहुत गहरी हैं. आज की परिस्थिति में जब देश का अस्तित्व खतरे में आता है, तो ईरान का विपक्ष भी सत्ता के साथ खड़ा हो जाता है. ऐसे में खामेनेई को मारने की सोचना, पूरे ईरान को उकसाने जैसा होगा, जिससे पूरे पश्चिम एशिया में अस्थिरता फैल सकती है."
सुदानी ने यह भी कहा कि अमेरिका इस बात को अच्छी तरह समझ रहा है और शायद इसी वजह से उसने खुद को इस टकराव से थोड़ा पीछे कर लिया है.
"अगर हमारे पास एयर डिफेंस होता तो इजराइल को रोक लेते"
सुदानी ने बताया कि इजराइली मिसाइलें जब इराक के ऊपर से होकर गुजरीं, तब इराक उन्हें रोकना चाहता था. लेकिन देश के पास कोई उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है, जिसके कारण वो सिर्फ देखते रह गए. उन्होंने कहा, "हम चाहें तो भी कुछ नहीं कर सकते थे. अगर हमारे पास तकनीक होती, तो इजराइल की मिसाइलें ईरान तक पहुंच ही नहीं पातीं."
ईरान को हुआ भारी नुकसान
ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जून महीने में चले 12 दिनों के इस युद्ध में लगभग 900 नागरिक मारे गए, जिनमें 102 बच्चे और महिलाएं शामिल हैं. ये आंकड़े क्षेत्र की भयावहता और नुकसान को बयां करते हैं.
खामेनेई बनाम सद्दाम हुसैन: क्या तुलना सही है?
इंटरव्यू में जब खामेनेई की तुलना 2003 में मारे गए इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन से की गई, तो सुदानी ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि, “सद्दाम का शासन डर और दमन पर आधारित था, लेकिन खामेनेई की स्थिति अलग है. उन्हें धार्मिक और सामाजिक वैधता हासिल है.”
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