नेपाल इन दिनों गंभीर राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बावजूद राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में विरोध-प्रदर्शन की आग शांत नहीं हुई है. प्रदर्शनकारी युवा एक ही मांग पर अड़े हैं. संसद को भंग किया जाए और नागरिक नेतृत्व वाली एक नई सरकार का गठन हो.
स्थिति को बिगड़ता देख अब नेपाल की सेना ने सीधा मोर्चा संभाल लिया है. सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने जनता से संयम बनाए रखने और सार्वजनिक-संपत्ति की सुरक्षा करने की अपील की है. उन्होंने यह भी कहा कि सेना हर हाल में देश की स्थिरता सुनिश्चित करेगी.
संवाद की उम्मीद, लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है
बुधवार को राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल की मौजूदगी में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच औपचारिक वार्ता होनी तय है. इस बैठक का एजेंडा साफ है — संसद भंग करने, नये आम चुनाव कराने और संक्रमणकालीन सरकार के गठन पर विचार. इससे पहले मंगलवार रात को शीतल निवास में सेना प्रमुख सिग्देल और युवा प्रतिनिधियों के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई थी, जिसके बाद औपचारिक वार्ता का रास्ता खुला. काठमांडू के मेयर बालेन शाह भी इस पहल के समर्थन में हैं. लेकिन सवाल यही है — क्या यह बातचीत नेपाल को मौजूदा अस्थिरता से बाहर निकाल सकेगी?
कौन हैं जनरल अशोक राज सिग्देल?
नेपाल सेना के मौजूदा प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल का जन्म 1 फरवरी 1967 को रुपन्देही जिले में हुआ था. वे 1986 में नेपाल सेना में शामिल हुए और अगले ही साल उन्हें कमीशन मिला. उन्होंने चीन की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से रणनीतिक अध्ययन में मास्टर डिग्री और नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से एमए की उपाधि प्राप्त की है. भारत से उन्होंने डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स भी किया है, जो भारत-नेपाल के सैन्य रिश्तों को और गहरा करता है.
सैन्य सेवाओं में लंबा अनुभव
अपने करियर में जनरल सिग्देल ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. वे इंस्पेक्टर जनरल, मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टर, और डिवीजन से लेकर ब्रिगेड तक के कमांडर रहे हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के तहत यूगोस्लाविया, ताजिकिस्तान और लाइबेरिया जैसे देशों में भी सेवा दी है.
सेना प्रमुख बनने का सफर और भारत दौरा
9 सितंबर 2024 को राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने उन्हें नेपाल का 45वां सेना प्रमुख नियुक्त किया. इसी क्रम में जब वे दिसंबर 2024 में भारत की राजकीय यात्रा पर पहुंचे, तो उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा भारतीय सेना का मानद जनरल भी बनाया गया. यह सम्मान दोनों देशों के ऐतिहासिक और गहरे सैन्य रिश्तों का प्रतीक माना जाता है.
नेपाल आज जिस मोड़ पर खड़ा है, वहां सेना की भूमिका निर्णायक हो सकती है. जनता बदलाव चाहती है, लेकिन बदलाव का रास्ता संवाद से ही निकलेगा. अगर जनरल सिग्देल और राष्ट्रपति पौडेल की कोशिशें रंग लाती हैं, तो यह सिर्फ नेपाल ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक राहत की खबर होगी.
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