31000 KMPH की तूफानी स्‍पीड, 15000 किलोमीटर रेंज, ब्रह्मोस भी इस मिसाइल के आगे फेल! दुश्‍मनों के लिए साक्षात यमराज

    बीते कुछ दशकों में चीन ने सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि सैन्य और तकनीकी क्षेत्र में भी आश्चर्यजनक प्रगति की है. रेल नेटवर्क से लेकर हाइपरसोनिक तकनीक और पांचवीं-छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों तक, उसकी उपलब्धियां वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं.

    DF-41 Dongfeng Missile compitetor of brahmos missile know range speed specifications
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    बीते कुछ दशकों में चीन ने सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि सैन्य और तकनीकी क्षेत्र में भी आश्चर्यजनक प्रगति की है. रेल नेटवर्क से लेकर हाइपरसोनिक तकनीक और पांचवीं-छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों तक, उसकी उपलब्धियां वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं. मगर सबसे ज्यादा ध्यान जिस चीज़ ने खींचा है, वह है उसका अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) कार्यक्रम खासकर DF-41 डोंगफेंग मिसाइल, जिसे चीन की सैन्य शक्ति का सबसे घातक और परिष्कृत हथियार माना जा रहा है.

    DF-41 या Dongfeng-41, एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज 12,000 से 15,000 किलोमीटर तक बताई जाती है. इसकी तेज़ी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह मैक-25 (लगभग 31,000 किमी/घंटा) की रफ्तार से उड़ान भर सकती है.

    क्या है DF-41 मिसाइल और क्यों है यह खास?


    इस मिसाइल में MIRV तकनीक (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle) का इस्तेमाल किया गया है, जिससे एक ही मिसाइल कई वॉरहेड्स के साथ अलग-अलग ठिकानों पर निशाना साध सकती है. माना जाता है कि इसमें तीन से लेकर दस तक वॉरहेड्स लगाए जा सकते हैं. साथ ही, यह डिकॉय और पेनिट्रेशन एड्स से भी लैस होती है, जिससे यह अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम मानी जाती है.

    इतिहास और विकास का सफर

    DF-41 के विकास की नींव 1986 में रखी गई थी. इसका पहला परीक्षण 1994 में हुआ, जबकि 2010 में इसे चीन की सेकंड आर्टिलरी कॉर्प्स को सौंपा गया. इसके बाद इस यूनिट को PLA रॉकेट फोर्स में बदल दिया गया. 2012 से 2016 के बीच इसके कई परीक्षण किए गए और अंततः 2019 की सैन्य परेड में इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया. इस मिसाइल का नाम ‘डोंगफेंग’ माओ जेडोंग के उस ऐतिहासिक भाषण से प्रेरित है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “अब दुनिया में दो हवाएं हैं — पूरब की हवा और पश्चिम की हवा.”

    तकनीकी क्षमता और रेंज में अव्वल

    • ईंधन: ठोस ईंधन (Solid fuel), जिससे लॉन्च की तैयारी में कम समय लगता है.
    • इंजन: तीन-चरणीय इंजन, जो लंबी दूरी तक सटीक मार करने में सक्षम बनाता है.
    • गति: लगभग 31,000 किमी/घंटा (मैक 25).
    • रेंज: 12,000 से 15,000 किलोमीटर — यानी अमेरिका का कोई भी भाग इसकी जद में आ सकता है.

    तीन अलग-अलग लॉन्च वेरिएंट्स

    रोड मोबाइल संस्करण: आठ-एक्सल ट्रांसपोर्ट लॉन्चर पर आधारित, जिससे दुर्गम क्षेत्रों से भी लॉन्च संभव है. रेल मोबाइल संस्करण: सामान्य ट्रेनों की शक्ल में छिपाया जा सकता है, जिससे दुश्मन की निगाहों से बचाव होता है. साइलो आधारित संस्करण: चीन ने इनर मंगोलिया, शिनजियांग और गांसू जैसे क्षेत्रों में इसके लिए भूमिगत साइलो तैयार किए हैं.

    दूसरी मिसाइलों से तुलना

    • DF-5: अधिक रेंज (13,000-16,000 किमी) लेकिन तरल ईंधन आधारित, जिससे लॉन्च में समय लगता है.
    • DF-31: ठोस ईंधन वाली मिसाइल, पर सीमित रेंज (7,200-8,000 किमी) और केवल एक वॉरहेड.
    • अमेरिका की Minuteman-III: रेंज 13,000 किमी, लेकिन पुराने डिज़ाइन पर आधारित.
    • रूस की RS-28 Sarmat: संभावित रेंज 18,000 किमी, लेकिन अब तक सीमित परीक्षण ही हुए हैं.

    परमाणु नीति और बढ़ती क्षमता

    चीन भले ही ‘No First Use’ की नीति पर कायम रहने का दावा करता हो, लेकिन उसके मिसाइल जखीरे का विस्तार कुछ और ही कहानी बयां करता है. पेंटागन की रिपोर्ट (2022): चीन के पास करीब 350 ICBMs. SIPRI की रिपोर्ट (जुलाई 2023): चीन के पास 500 के करीब परमाणु वॉरहेड्स, जिनमें से 90 हाल ही में जोड़े गए हैं. अनुमान है कि अगले दशक में चीन अमेरिका और रूस से भी आगे निकल सकता है.

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