कोलकाता: पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने चर्चित उपनाम ‘कैप्टन कूल’ को ट्रेडमार्क कराने के लिए औपचारिक कदम उठाया है. धोनी ने 5 जून को भारतीय ट्रेडमार्क रजिस्ट्री पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन दाखिल किया, जिससे उन्हें इस नाम को कोचिंग और ट्रेनिंग सेंटर जैसी सेवाओं में इस्तेमाल करने का विशेष अधिकार मिल सके.
यदि यह ट्रेडमार्क स्वीकृत हो जाता है, तो 'कैप्टन कूल' नाम किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.
पहले से रजिस्टर्ड नाम बन रहा बाधा
धोनी के आवेदन को ट्रेड मार्क्स अधिनियम की धारा 11(1) के तहत प्रारंभिक आपत्ति का सामना करना पड़ा है. इस धारा के तहत यदि कोई नाम पहले से ही पंजीकृत है और उससे मिलती-जुलती पहचान किसी नए आवेदन में सामने आती है, तो यह उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकता है.
इस स्थिति में, धोनी के वकीलों ने दलील दी कि ‘कैप्टन कूल’ नाम धोनी की जन-मानस में स्थापित पहचान है, जो पिछले कई वर्षों से फैंस, मीडिया और क्रिकेट जगत द्वारा उनके लिए प्रयुक्त होता आ रहा है.
कैसे पड़ा ‘कैप्टन कूल’ नाम?
महेंद्र सिंह धोनी को यह उपनाम उनके शांत स्वभाव और दबाव की स्थिति में संयमित नेतृत्व के लिए मिला. चाहे मैदान पर कोई भी चुनौती हो, धोनी का निर्णय लेने का तरीका हमेशा शांत और नियंत्रित नजर आया — यही उन्हें बाकी कप्तानों से अलग बनाता है. उनके इसी स्वभाव को देखते हुए मीडिया और फैंस ने उन्हें 'कैप्टन कूल' की उपाधि दी, जो समय के साथ धोनी की पहचान का अभिन्न हिस्सा बन गई.
धोनी को मिला ICC हॉल ऑफ फेम सम्मान
इस महीने की शुरुआत में धोनी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने हॉल ऑफ फेम में शामिल किया — यह सम्मान प्राप्त करने वाले वे 11वें भारतीय क्रिकेटर हैं. धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 T20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप, और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीते, जो उन्हें भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में शुमार करता है.
बल्लेबाज और विकेटकीपर के रूप में भी बेमिसाल
धोनी ने वनडे क्रिकेट में ‘फिनिशर’ की भूमिका को नई परिभाषा दी. उनका 2005 में श्रीलंका के खिलाफ खेला गया नाबाद 183 रन आज भी एक विकेटकीपर द्वारा बनाए गए सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर में गिना जाता है.
10,000 से ज्यादा रन, 50 औसत और विकेटों के पीछे 829 शिकार — धोनी की संपूर्णता उन्हें एक पूर्ण क्रिकेटर और नेता के रूप में स्थापित करती है.
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