Assam News: असम के गोलाघाट जिले में एक रॉयल बंगाल टाइगर की बर्बर हत्या ने वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को बड़ा झटका दिया है. ग्रामीणों ने बाघ को मारने के लिए धारदार हथियारों और लोहे की छड़ों का इस्तेमाल किया, जिससे उसकी जान चली गई. जानकारी के मुताबिक बाघ ने हाल ही में गांव के एक व्यक्ति की जान ली थी और मवेशियों पर भी हमला कर रहा था. इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
ट्रॉफी बनाकर ले गए आंख-कान
यह घटना दुसुतिमुख गांव में घटी, जहां ग्रामीणों ने बाघ को मारने के लिए हथियार जुटाए थे. सुबह 8-9 बजे के बीच ग्रामीणों ने बाघ को एक जंगल में घेर लिया. भीड़ ने मिलकर उसे बेरहमी से पीटा और धारदार हथियारों से मार डाला. बाघ की मौत के बाद लोगों ने उसके पैर, कान, दांत और चमड़ी के कुछ हिस्से काट लिए और 'ट्रॉफी' के तौर पर अपने साथ ले गए.
वन विभाग की नाकाम कोशिश
वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक बाघ की जान जा चुकी थी. बाघ को बचाने की कोशिश में तीन वनकर्मी घायल हो गए. इस मामले में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है. स्थानीय विधायक मृणाल सैकिया ने घटना की कड़ी निंदा की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि धरती सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, जानवरों के लिए भी है.
असम में बाघों की स्थिति
2022 की जनगणना के अनुसार, असम में 227 बाघ हैं. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व से महज 20 किलोमीटर दूर हुई यह घटना वन्यजीव संरक्षण की गंभीर चुनौती को उजागर करती है. रॉयल बंगाल टाइगर IUCN की रेड लिस्ट में लुप्तप्राय प्रजाति है और भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत पूरी तरह संरक्षित है. इसके बावजूद, असम में बाघों की मौत की घटनाएं बढ़ रही हैं.
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