शादी के बाद 15 साल तक नहीं बनाए शारीरिक संबंध.. पति ने जज साहब से लगाई गुहार, कोर्ट ने कही ये बात

    पति ने जयपुर फैमिली कोर्ट में दायर अर्जी में बताया कि पत्नी शुरू से ही ससुराल वालों के साथ नहीं रहना चाहती थी. वह आए दिन झगड़े करती और यहां तक कहती कि वह झूठे मुकदमे में फंसा देगी. पति के अनुसार, डर के कारण न केवल वह, बल्कि उसका पूरा परिवार चुप रहा.

    marriage without intimacy jaipur family court judgement
    marriage without intimacy jaipur family court judgement

    Jaipur News: शादी सिर्फ एक सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि दो व्यक्तियों के बीच भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक संतुलन का वादा भी होती है. लेकिन जब इस रिश्ते में लगातार एक पक्ष की उपेक्षा हो, तो इसका असर केवल एक व्यक्ति पर नहीं, पूरे परिवार और समाज पर पड़ता है. ऐसा ही एक असामान्य लेकिन कानूनी दृष्टिकोण से बेहद अहम मामला जयपुर से सामने आया है, जहां पति को 15 साल तक पत्नी द्वारा शारीरिक संबंध से इनकार के कारण आखिरकार तलाक मिल गया.

    शादी के पहले दिन से ही रिश्तों में दूरी

    मामला 2003 में हुई एक शादी से जुड़ा है. पति ने कोर्ट में बताया कि विवाह के दिन ही जब उसने पत्नी से संबंध बनाने की कोशिश की, तो उसने इनकार कर दिया. पति को लगा समय के साथ रिश्ते सुधरेंगे, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. 15 साल तक उसने यह उम्मीद लिए रिश्ते को निभाया कि शायद कोई बदलाव आएगा, लेकिन पत्नी ने न सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार किया, बल्कि परिवार से भी दूरी बनाए रखी.

    15 वर्षों तक अस्वीकार और परिवार से अलगाव

    पति ने जयपुर फैमिली कोर्ट में दायर अर्जी में बताया कि पत्नी शुरू से ही ससुराल वालों के साथ नहीं रहना चाहती थी. वह आए दिन झगड़े करती और यहां तक कहती कि वह झूठे मुकदमे में फंसा देगी. पति के अनुसार, डर के कारण न केवल वह, बल्कि उसका पूरा परिवार चुप रहा. लेकिन जब यह स्थिति 15 वर्षों तक जस की तस बनी रही, तो उसने तलाक की अर्जी डाल दी.

    कोर्ट ने कहा – पुनर्स्थापना असंभव

    मामले की सुनवाई जयपुर महानगर प्रथम की फैमिली कोर्ट संख्या 4 के जज पवन कुमार ने की. उन्होंने कहा कि 15 वर्षों तक यदि शारीरिक संबंध नहीं बने हैं, तो यह ‘मानसिक क्रूरता’ की श्रेणी में आता है और ऐसे दांपत्य संबंधों की पुनर्स्थापना संभव नहीं है.

    पत्नी के आरोप नहीं हुए साबित

    कोर्ट में पेशी के दौरान पत्नी ने स्वीकार किया कि उसने पति से संबंध नहीं बनाए. उसने अपने बचाव में आरोप लगाया कि पति के दूसरी महिलाओं से अवैध संबंध हैं, लेकिन जब कोर्ट ने सबूत मांगा, तो वह कुछ भी साबित नहीं कर सकी. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना ठोस साक्ष्य के लगाए गए आरोप न्यायिक दृष्टि से मान्य नहीं होते.

    दहेज प्रताड़ना का दावा भी निराधार

    पत्नी ने पति और ससुराल पर दहेज के लिए प्रताड़ना का आरोप भी लगाया, लेकिन यह शिकायत विवाह के 20 साल बाद दर्ज कराई गई, वह भी तब जब पति ने तलाक की अर्जी दे दी थी. कोर्ट ने माना कि यह शिकायत केवल कानूनी दबाव बनाने के लिए की गई थी.

    कोर्ट से मिला न्याय

    इस पूरे मामले में कोर्ट ने पति के पक्ष में निर्णय देते हुए तलाक को स्वीकृति दे दी. दो साल से पत्नी पति और परिवार से पूरी तरह अलग रह रही थी और बिना किसी ठोस कारण के साथ रहने से इनकार कर रही थी. कोर्ट ने इसे परित्याग का मामला माना.

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