मार्क जुकरबर्ग का धांसू ऑफर! हर घंटे मिलेंगे 5,000 रुपये, जानें क्या करना होगा काम

    मार्क जुकरबर्ग की कंपनी अमेरिका में कॉन्ट्रैक्टर्स को 55 डॉलर (करीब 5,000 रुपये) प्रति घंटे का जॉब ऑफर देकर भारत के लिए सुपर-स्मार्ट हिंदी चैटबॉट्स तैयार करवा रही है.

    Mark Zuckerberg is offering ₹5,000 per hour to those who know Hindi here s the job details
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    Mark Zuckerberg: डिजिटल दुनिया की सबसे गर्म दौड़ में मेटा ने एक धमाकेदार एंट्री मार ली है, जहां मार्क जुकरबर्ग की कंपनी अमेरिका में कॉन्ट्रैक्टर्स को 55 डॉलर (करीब 5,000 रुपये) प्रति घंटे का जॉब ऑफर देकर भारत के लिए सुपर-स्मार्ट हिंदी चैटबॉट्स तैयार करवा रही है. यह कोई साधारण हायरिंग नहीं, बल्कि एक स्ट्रैटेजिक मूव है जो इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और मैसेंजर को लोकल फ्लेवर से भरने का वादा करता है. लेकिन क्या यह जुकरबर्ग का जीनियस प्लान है या फिर डेटा प्राइवेसी के नए विवादों की शुरुआत? आइए, इस रोमांचक सफर पर नजर डालें.

    हिंदी क्रिएटर्स की तलाश

    मेटा को साधारण प्रोग्रामर्स की भूख नहीं लगी है; कंपनी ऐसे टैलेंटेड सोल्स को हंट कर रही है जो स्टोरीटेलिंग, कैरेक्टर बिल्डिंग और प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग में कम से कम छह साल का मास्टर बन चुके हों. ऊपर से हिंदी, इंडोनेशियन, स्पैनिश या पुर्तगाली में फ्लुएंट होना अनिवार्य है. इन चैटबॉट्स का टारगेट? यूजर्स को ऐसे AI कैरेक्टर्स देना जो भारतीय संस्कृति, ह्यूमर और भाषा से चिपके रहें, ताकि चैटिंग महसूस हो असली दोस्तों जैसी. यह कदम मेटा की ग्लोबल स्ट्रैटेजी का हिस्सा है, जहां लोकल टच से यूजर एंगेजमेंट को स्काईरॉकेट करने का प्लान है. 

    जुकरबर्ग का ग्रैंड विजन

    मार्क जुकरबर्ग का सपना है कि AI चैटबॉट्स सिर्फ चैट टूल्स न रहें, बल्कि डेली लाइफ के कंपैनियन बन जाएं – जो बातें करें, सलाह दें और जिंदगी को आसान बनाएं. यह पहला एक्सपेरिमेंट नहीं; 2023 में केन्डल जेनर और स्नूप डॉग जैसे सेलेब्स के AI वर्जन लॉन्च हुए थे, लेकिन वे ज्यादा चले नहीं. 2024 में AI स्टूडियो का धमाका हुआ, जहां यूजर्स खुद बॉट्स क्रिएट कर सकते हैं. अब मेटा खुद कंट्रोल ले रही है, ताकि इन बॉट्स की पर्सनालिटी परफेक्ट हो और ग्लोबल मार्केट्स में हिट साबित हो. 

    भारत के लिए गोल्डन ऑपर्चुनिटी

    भारत मेटा का सबसे बड़ा बाजार है, जहां व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के सैकड़ों मिलियन यूजर्स घूमते हैं. हिंदी चैटबॉट्स लॉन्च करने से कंपनी का रेवेन्यू और यूजर स्टिकनेस दोनों चढ़ेंगे. कल्चरली रेलेवेंट बॉट्स यूजर्स को ज्यादा कनेक्टेड फील कराएंगे, जैसे कोई लोकल फ्रेंड चैट कर रहा हो. यह प्रोजेक्ट न सिर्फ इंडिया को टारगेट करता है, बल्कि इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे ग्रोथ मार्केट्स को भी कवर करता है, जहां लोकल लैंग्वेज मैजिक काम आएगी. 

    चुनौतियों का जाल

    लेकिन यह रोड आसान नहीं; मेटा के AI बॉट्स पहले ही विवादों में फंसे हैं. रिपोर्ट्स कहती हैं कि बॉट्स ने माइनर्स से फ्लर्टिंग की, गलत मेडिकल एडवाइस दी और रेसिस्ट कंटेंट जेनरेट किया, जिससे अमेरिकी सीनेटर्स ने जांच बुलाई. इंडोनेशिया और यूएस में "रशियन गर्ल" या "लोनली वुमन" जैसे कैरेक्टर्स ने सेक्शुअल रोलप्ले को बढ़ावा दिया. प्राइवेसी इश्यूज भी हैं – कॉन्ट्रैक्टर्स को यूजर्स के नाम, फोन नंबर्स और सेल्फी तक दिख जाते हैं. इस बार मेटा लोकल एक्सपर्ट्स को इन्वॉल्व कर सेफ और रियलिस्टिक बॉट्स बनाने पर फोकस कर रही है, लेकिन क्या यह काफी होगा? 

    फ्यूचर का फैसला

    मेटा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, इसलिए हाई-पेड क्रिएटर्स पर इन्वेस्टमेंट कर रही है जो कल्चरली सेंसिटिव AI पर्सनालिटीज़ क्रिएट करें. भारत में हिंदी बॉट्स का इम्पैक्ट देखना रोमांचक होगा क्या वे यूजर्स को हुक कर लेंगे या फिर प्राइवेसी ब्रेक और अनैतिक कंटेंट के नए चैप्टर्स खोलेंगे? जुकरबर्ग का यह बेट AI रेस में मेटा को टॉप पर पहुंचा सकता है, लेकिन एक गलती और पूरी स्ट्रैटेजी डूब सकती है. वेट एंड वॉच.

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