Kosi Canal Project: मिथिला क्षेत्र के किसानों के लिए यह किसी सौगात से कम नहीं है. अब वह दिन दूर नहीं जब दरभंगा और मधुबनी की धरती भी पंजाब-हरियाणा जैसी उन्नत और समृद्ध खेती के लिए जानी जाएगी. जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने यह आश्वासन देते हुए बताया कि पश्चिम कोसी नहर परियोजना में बड़ा विस्तार किया जा रहा है, जिसकी लागत 8678 करोड़ रुपये तय की गई है. इस ऐतिहासिक परियोजना के लिए संजय झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि अब मिथिला के किसानों को सालभर सिंचाई का पानी उपलब्ध होगा, जिससे खेती में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.
क्यों खास है यह परियोजना?
इस योजना के तहत कुल 741 किलोमीटर लंबी नहरों को पक्का किया जाएगा, जिससे सिंचाई व्यवस्था मजबूत होगी और करीब 2 लाख 91 हजार हेक्टेयर खेतों को पानी मिलेगा. साथ ही, नहरों के किनारे 338 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे गांवों के भीतर संपर्क आसान होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.
सीमा पार नेपाल तक होगा असर
यह परियोजना सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि नेपाल तक फैली है. नेपाल क्षेत्र में नहरों की मरम्मत और भारत में उनका विस्तार कर 58 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को भी सींचा जा सकेगा. इसके साथ ही 260 नए पुल, 407 पुराने पुलों की मरम्मत, 558 रेगुलेटर और 158 क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर का निर्माण किया जाएगा. इससे क्षेत्र में बाढ़ प्रबंधन भी प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा.
मधुबनी और दरभंगा को होगा बड़ा लाभ
परियोजना का सीधा लाभ दरभंगा के 16 और मधुबनी के 20 प्रखंडों को मिलेगा. अनुमान है कि करीब 24 लाख लोगों की जिंदगी इससे प्रभावित होगी — बेहतर खेती, बेहतर सड़क और बेहतर भविष्य की दिशा में.
नीतीश सरकार की प्राथमिकता में मिथिला
संजय झा ने कहा कि पहले की सरकारों ने सिंचाई की जरूरतों को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2020 में ही इस परियोजना को ₹735 करोड़ की राशि मिली थी, जिससे कई गांवों में पहली बार नहर का पानी पहुंचा. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दौरे के बाद से ही इस योजना को और बल मिला, और अब राज्य मंत्रिमंडल से इसकी मंजूरी भी मिल चुकी है. अब जब यह परियोजना ज़मीन पर उतरने वाली है, तो अगले 3-4 वर्षों में मिथिला की तस्वीर बदलने की उम्मीद की जा रही है. खेती उन्नत होगी, किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और गांवों में विकास की नई लहर दौड़ेगी.
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