भारतीय सेना को कैसे मिली पहलगाम के मास्टरमाइंड मूसा की लोकेशन? जानें 'ऑपरेशन महादेव' की इनसाइड स्टोरी

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा को आखिरकार सुरक्षा बलों ने एक सटीक और खुफिया कार्रवाई में ढेर कर दिया है.

    Know the inside story of Operation Mahadev
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा को आखिरकार सुरक्षा बलों ने एक सटीक और खुफिया कार्रवाई में ढेर कर दिया है. 'ऑपरेशन महादेव' के तहत चलाए गए इस अभियान में भारतीय सेना ने मूसा समेत तीन आतंकियों को खत्म कर एक बड़े खतरे को टाल दिया. लेकिन इस पूरे ऑपरेशन में सबसे चौंकाने वाली बात रही मूसा की लोकेशन का खुलासा उसकी अपनी चीनी तकनीक की वजह से हुआ.

    चीनी उपकरण बना मौत का कारण

    सूत्रों के अनुसार, मूसा पाकिस्तान से मिले एक चीनी ‘अल्ट्रासेट रेडियो’ का उपयोग कर रहा था, जिसे अब तक बेहद सुरक्षित माना जाता रहा है. यह उपकरण ‘अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी’ पर काम करता है और इसकी बातचीत को पकड़ पाना आसान नहीं होता. लेकिन खुफिया एजेंसियों ने इस बार बड़ी चालाकी से इसके सिग्नल ट्रेस कर लिए.

    दाचीगाम नेशनल पार्क के पास इस रेडियो डिवाइस की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गईं. रविवार रात करीब 2 बजे मूसा और उसके साथी पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क में थे. यही पल उनकी सबसे बड़ी चूक बन गया, क्योंकि इसी सिग्नल ने उनकी सटीक लोकेशन खोल दी.

    महादेव पीक पर मौत का ऑपरेशन

    जिस स्थान पर मुठभेड़ हुई, वह महादेव पीक के नाम से जाना जाता है, एक बेहद दुर्गम इलाका जहां पहुंचने के लिए सुरक्षा बलों को 16 किलोमीटर पैदल चढ़ाई करनी पड़ी. इस इलाके को चारों तरफ से घेरने के बाद सुरक्षा बलों ने कोई मौका नहीं छोड़ा. पाकिस्तानी आतंकियों के पास कोई बचाव का रास्ता नहीं बचा.

    सबसे खास बात यह रही कि स्थानीय ओवरग्राउंड नेटवर्क, जो अकसर आतंकियों की मदद करता है, इस बार पूरी तरह से नाकाम रहा. भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने इस ऑपरेशन को इस तरह अंजाम दिया कि घाटी में बैठे उनके मददगारों को भनक तक नहीं लगी.

    छापेमारी जारी, लोकल सपोर्ट पर शिकंजा

    मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से राशन और अन्य सामान बरामद किया है, जो पास के गांवों से लाया गया था. अब सुरक्षाबलों का फोकस इन गांवों में मौजूद संभावित मददगारों पर है. कई ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है और स्थानीय नेटवर्क को ध्वस्त करने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं.

    'ऑपरेशन महादेव' की सफलता

    यह पूरा अभियान लिडवास इलाके में चलाया गया, जिसे 'ऑपरेशन महादेव' नाम दिया गया था. इसमें तीनों आतंकियों को मार गिराया गया. यह ऑपरेशन उस जवाबी रणनीति का हिस्सा है जो केंद्र सरकार ने पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद तय की थी.

    22 अप्रैल को हुआ था पहलगाम अटैक

    22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने टूरिस्ट ग्रुप को निशाना बनाते हुए धर्म के आधार पर 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी. यह हमला न केवल अमानवीय था बल्कि एक सोची-समझी आतंकी साजिश का हिस्सा भी था. इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की खुली छूट दी.

    इसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के भीतर नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. यह स्पष्ट संदेश था कि अब भारत चुप नहीं बैठेगा.

    ये भी पढ़ें- 'बैठ जाइए मेरा जवाब सुनिए', जब संसद में अखिलेश यादव को अमित शाह ने सुनाई खरी-खरी; जानें क्या है पूरा वाक्या