इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अशांत प्रांत बलूचिस्तान से सामने आई एक सरकारी रिपोर्ट ने देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. बलूचिस्तान सरकार के गृह विभाग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 के पहले छह महीनों में सुरक्षाबलों पर हुए हमलों और हत्याओं में 100% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
जहां पाकिस्तान सेना और प्रशासन अब तक इन हमलों के प्रभाव को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से बचता रहा है, वहीं यह रिपोर्ट खुद सरकार के स्तर पर सामने आई है और सुरक्षा तंत्र की खामियों की ओर स्पष्ट इशारा कर रही है.
501 आतंकी घटनाएं, 257 मौतें, 492 घायल
रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी से 10 जुलाई 2025 के बीच 501 हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 257 लोगों की जान गई और 492 अन्य घायल हुए. इन हमलों में से 332 बार सुरक्षा बलों को सीधे निशाना बनाया गया, जिससे 133 जवान शहीद हुए और 338 घायल हुए.
हमले न केवल अधिक घातक होते जा रहे हैं, बल्कि इनकी रणनीति भी बदल रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हमले योजनाबद्ध और संगठित रूप में किए जा रहे हैं, जिनमें रिमोट-कंट्रोल बम, घात लगाकर हमले और ग्रेनेड का इस्तेमाल प्रमुख रहा.
IED और ग्रेनेड से बने हथियार
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अलगाववादी समूह नियमित रूप से सुरक्षा बलों और सरकारी प्रतिष्ठानों को टारगेट बना रहे हैं, और इससे सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियां उजागर हुई हैं.
सेना का पलटवार और बरामदगी
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने भी कार्रवाई की है. दर्जनों अलगाववादी लड़ाकों को मार गिराया गया या गिरफ्तार किया गया है. साथ ही हथियारों और विस्फोटकों का बड़ा जखीरा बरामद किया गया.
हालांकि, यह भी साफ है कि जितनी तेजी से हमले हो रहे हैं, सुरक्षा बल अभी उन्हें रोकने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं.
पारदर्शिता या मजबूरी? रिपोर्ट ने खोली पोल
आमतौर पर पाकिस्तान सरकार या सेना ऐसे संवेदनशील आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करती, लेकिन बलूचिस्तान सरकार की इस रिपोर्ट ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि हालात नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं. रिपोर्ट ने देश की सुरक्षा नीति, सैन्य रणनीति और जमीनी हकीकत के बीच अंतर को उजागर किया है.
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