मिडिल ईस्ट में चल रही जंग अब नए मोड़ पर पहुंच गई है. पहले इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुई टकराव अब तीसरे मोर्चे में तब्दील हो चुकी है, क्योंकि अमेरिका भी मैदान में उतर चुका है. रविवार को अमेरिका ने ऑपरेशन "Midnight Hammer" के तहत ईरान के तीन संवेदनशील न्यूक्लियर साइट्स — फोर्दो, इस्फहान और नतांज — को निशाना बनाया.
इन हमलों के बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई पहली बार तीखी प्रतिक्रिया देते नजर आए. हालांकि उन्होंने अमेरिका का नाम नहीं लिया, लेकिन इजरायल को "जायोनिस्ट दुश्मन" कहते हुए कड़ी चेतावनी दी: "उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है, और उन्हें इसकी सजा मिल रही है... और मिलती रहेगी."
खामेनेई बंकर में क्यों छिपे हैं?
86 वर्षीय खामेनेई इस समय खुद को बेहद गंभीर खतरे में महसूस कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे किसी गोपनीय अंडरग्राउंड बंकर में छिपे हुए हैं, सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज से कटे हुए. सूत्रों का कहना है कि वह अब सिर्फ एक भरोसेमंद सहायक के जरिए मिलिट्री कमांडर्स से संवाद कर रहे हैं. उनके कई करीबी सहयोगी और कमांडर हालिया हमलों में मारे गए हैं, जिससे उनकी सुरक्षा पर गहरा असर पड़ा है.
खामेनेई की योजना B क्या है?
इस अभूतपूर्व हालात को देखते हुए, खामेनेई ने अपने शासन के तीन दशक में पहली बार यह संकेत दिया है कि अगर उन्हें कुछ हो जाता है, तो अगला सर्वोच्च नेता कौन होगा. उन्होंने “असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स” को तीन संभावित उत्तराधिकारियों के नाम पहले ही सौंप दिए हैं. माना जा रहा है कि इससे यह साफ हो जाता है कि ईरान की सत्ता संरचना में भी अस्थिरता आ गई है.
अमेरिकी थिंक टैंक क्या कहता है?
Carnegie Endowment for International Peace के विश्लेषक करीम सादजापौर ने कहा: “यह खामेनेई के जीवन का सबसे कठिन दौर है. वह न केवल मानसिक और शारीरिक रूप से सीमित हैं, बल्कि उनके सैन्य कमांडर्स खत्म हो चुके हैं, और वह अपने ही देश के आसमान पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं.”
सादजापौर ने यह भी कहा कि अब खामेनेई के पास न सैन्य शक्ति है, न आर्थिक ताकत और न ही तकनीकी सहायता — वो हर मोर्चे पर पिछड़ चुके हैं.
ईरान ने दी थी चेतावनी, अमेरिका ने फिर भी किया हमला
हालांकि खामेनेई ने अमेरिका पर अब तक कोई सीधी टिप्पणी नहीं दी है, लेकिन पिछले सप्ताह उन्होंने राष्ट्रीय संबोधन में कहा था: "ईरान कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगा, और यदि अमेरिका ने हमला किया तो उसे ऐसा नुकसान होगा जिसे वह कभी भूल नहीं पाएगा."
इसके बावजूद, अमेरिका ने ईरान की न्यूक्लियर महत्वाकांक्षाओं को "नष्ट" करने का दावा करते हुए बमबारी की. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने बयान में कहा कि ईरान को अब दो विकल्प दिए गए हैं: या तो शांति का रास्ता अपनाओ, या तबाही के लिए तैयार रहो.
ईरान का पलटवार
ईरान ने भी चुप नहीं बैठा. उसने इजरायल पर कई बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें 80 से ज्यादा लोग घायल हुए. वहीं, इजरायली एयरस्ट्राइक में ईरान की कई सैन्य पोस्ट तबाह हुईं और एक एम्बुलेंस पर हमले में तीन लोगों की मौत हो गई.
क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की आहट है?
विश्लेषकों के मुताबिक, यह हमला 1980 के दशक के ईरान-इराक युद्ध के बाद ईरान पर सबसे बड़ा सैन्य आक्रमण है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि खाड़ी देशों में सैन्य तैयारियों का स्तर Cold War जैसा दिखने लगा है. अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या ये संघर्ष और बड़ा रूप लेगा या यह एक सामरिक विराम है.
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