ईरान ने अपने तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले के 36 घंटे बाद कतर में स्थित अमेरिकी सैन्य बेस को निशाना बनाया. दोहा शहर में अचानक छठे मिसाइलों की बरसात ने अफरा-तफरी मचा दी. कतर ने सुरक्षा के लिहाज से अपने पूरे एयरस्पेस को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया. ईरान ने इस हमले को अमेरिका की जवाबी कार्रवाई बताया, लेकिन सवाल ये है कि आखिर अमेरिका के खिलाफ कतर को क्यों निशाना बनाया गया?
क्यों चुना गया कतर?
- भौगोलिक नज़दीकियत: कतर ईरान का सबसे करीबी पड़ोसी देश है, जिससे सीधे हमला करना आसान था. ईरान को अपने मिसाइलों को भेजने के लिए किसी दूसरे देश की हवा से गुजरने की जरूरत नहीं पड़ी.
- अमेरिका का अहम ठिकाना: कतर में अमेरिकी सैन्य बेस अल उदीद स्थित है, जो मध्य पूर्व में अमेरिका की रणनीतिक ताकत माना जाता है. अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में कई सैन्य ऑपरेशन इसी बेस से नियंत्रित हुए हैं.
- सेंट्रल कमांड का मुख्यालय: यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) का अग्रिम मुख्यालय भी कतर में है, जहाँ लगभग 10 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. पूरे खाड़ी क्षेत्र में लगभग 50 हजार अमेरिकी सैनिक हैं, जिनमें सबसे बड़ी तैनाती कतर में है.
- राजनीतिक स्थिति: अमेरिकी हमले के बाद तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों ने कड़ी निंदा की, जबकि कतर ने इस मामले में ‘न्यूट्रल’ रवैया अपनाया. शायद यही वजह रही कि ईरान ने कतर को अपना निशाना बनाया.
- ईरान की संदेश: ईरान ने मध्य पूर्व में अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य ठिकानों पर हमला कर साफ कर दिया कि वह पूरी तरह खड़ा है. राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी ने कहा, “हमने युद्ध शुरू नहीं किया, हमें युद्ध थोप दिया गया है.”
रूस का समर्थन और मिसाइल हमले की शुरूआत
22 जून को अमेरिका के तीन परमाणु स्थलों पर बमबारी के बाद ईरान कुछ देर तक शांत रहा. लेकिन तत्काल बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची मॉस्को पहुंचे और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की.
पुतिन ने अमेरिकी हमलों की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया. माना जा रहा है कि रूस से मिली हरी झंडी और समर्थन के बाद ही ईरान ने कतर की राजधानी दोहा पर छह मिसाइलों से हमला किया.
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