नई दिल्ली: केरल में इस समय एक खतरनाक बीमारी, प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसने स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है. यह मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला संक्रमण नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा के कारण होता है, जिसे ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ भी कहा जाता है. इस वर्ष अब तक केरल में 61 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 19 मरीजों की मौत हो चुकी है.
PAM क्या है?
PAM एक गंभीर मस्तिष्क संक्रमण है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. यह संक्रमण दिमाग के ऊतकों को नष्ट कर देता है, जिससे मस्तिष्क सूजन होती है और ज्यादातर मामलों में मौत हो जाती है. यह आमतौर पर बच्चों, किशोरों और युवाओं में देखा जाता है. खास बात यह है कि यह बीमारी दूषित, गर्म और स्थिर ताजे पानी में पाए जाने वाले अमीबा के कारण होती है.
संक्रमण कैसे फैलता है?
इस अमीबा का शरीर में प्रवेश नाक के माध्यम से होता है, खासकर जब कोई दूषित पानी में तैरता है या गोताखोरी करता है. पीएएम संक्रमण का कोई प्रत्यक्ष व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण नहीं होता. केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि इस बार यह संक्रमण अलग-अलग जगहों पर फैल रहा है, ना कि किसी एक जल स्रोत से जुड़ा है. यह बीमारी तीन महीने के शिशु से लेकर 91 वर्ष के बुजुर्ग तक किसी को भी प्रभावित कर सकती है.
लक्षण और इलाज
PAM के लक्षण सामान्य मैनिंजाइटिस जैसे होते हैं - तेज सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी. बीमारी की तीव्रता इतनी ज्यादा होती है कि जब तक सही निदान होता है, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है. उपचार में शीघ्र निदान और रोगाणुरोधी दवाओं का समय पर उपयोग जीवन रक्षक साबित हो सकता है, लेकिन दुर्लभता और तेज संक्रमण के कारण इलाज चुनौतीपूर्ण है.
केरल में तेजी से बढ़ते मामलों ने बढ़ाई चिंता
केरल में इस संक्रमण का पहला मामला 2016 में सामने आया था, लेकिन तब से लेकर 2022 तक केस कम ही थे. पिछले दो सालों में मामलों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है. 2023 में 36 मामले और 9 मौतें हुई थीं, जबकि इस साल अब तक 61 मामले और 19 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं. स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के सहयोग से संदूषित जल स्रोतों की पहचान के लिए परीक्षण शुरू कर दिए हैं.
ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय बदलाव से बढ़ता कारण
केरल सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण पानी का तापमान बढ़ रहा है, जिससे अमीबा के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है. इसके अलावा, गर्मी में लोगों द्वारा अधिकतर स्थिर जल निकायों में नहाने और मनोरंजन के लिए पानी के इस्तेमाल से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
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