अमेरिका और रूस के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच 15 अगस्त को एक अहम मुलाकात होने जा रही है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे. उद्देश्य साफ है. रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में ठोस पहल. इस बैठक ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह न केवल युद्धविराम की उम्मीद जगा रही है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी असर डाल सकती है.
ट्रंप ने अपनी इस पहल के लिए मौजूदा संकट का जिम्मा पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पर डाला. बुधवार को उन्होंने साफ कहा, “यह बाइडन का बनाया हुआ मसला है, मेरा नहीं. अगर मैं राष्ट्रपति होता तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता. लेकिन अब जो है, सो है. मैं इसे खत्म करने आया हूं. अगर इस प्रक्रिया में हम हजारों जिंदगियां बचा सके, तो यह बहुत बड़ी बात होगी.”
पांच बड़े युद्धों को रोका
अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी दावा किया कि उन्होंने बीते छह महीनों में पांच बड़े युद्धों को रोका है और ईरान की परमाणु क्षमता को खत्म कर दिया है. ट्रंप का कहना है कि अगर पहली मुलाकात सकारात्मक रही, तो वे पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के साथ दूसरी बैठक जल्द आयोजित करना चाहेंगे.
जेलेंस्की के बिना कोई बैठक नहीं
रूस ने इस मुलाकात की पुष्टि कर दी है, वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने साफ चेतावनी दी है कि उनकी मौजूदगी के बिना किसी भी बैठक का कोई अर्थ नहीं होगा. उनकी राय में, किसी समाधान में यूक्रेन की भूमिका अनिवार्य है. गौरतलब है कि ट्रंप पहले भी संकेत दे चुके हैं कि किसी समझौते में “कुछ क्षेत्रों की अदला-बदली” शामिल हो सकती है. हालांकि, उन्होंने इसकी विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार किया.
दूसरी ओर, क्रेमलिन से जुड़े कुछ विश्लेषकों का मानना है कि रूस उन इलाकों को छोड़ने पर विचार कर सकता है जो उसके द्वारा पहले से मिलाए गए चार क्षेत्रों के बाहर हैं. अब सबकी नजरें 15 अगस्त पर टिकी हैं—क्या अलास्का की यह बैठक युद्धविराम की दिशा में ठोस कदम साबित होगी या यह भी सिर्फ एक कूटनीतिक औपचारिकता बनकर रह जाएगी?
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