सोचिए आप किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने पहुंचे, मेन्यू से अपने मनपसंद व्यंजन का ऑर्डर दिया और जब टेबल पर खाना आया, तो वो कुछ और ही निकला. आमतौर पर हम झल्ला जाते हैं, शिकायत करते हैं. लेकिन अगर यही गलती किसी मुस्कुराते चेहरे से बड़े ही स्नेह और मासूमियत से हो, तो शायद हम नाराज़ नहीं होंगे… बल्कि मुस्कुरा देंगे.
जापान के टोक्यो शहर में एक ऐसा ही रेस्टोरेंट है, जहां गलत ऑर्डर आना सामान्य बात है. मगर यहां की खास बात यह है कि लोग इसी गलती की तलाश में यहां आते हैं. इस रेस्टोरेंट का नाम है.. "Restaurant of Mistaken Orders" यानी "गलत ऑर्डर वाला रेस्टोरेंट".
गलती नहीं, अपनापन परोसा जाता है
इस जगह की सबसे खास बात है यहां काम करने वाले लोग. ये कोई पेशेवर वेटर नहीं, बल्कि डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी से जूझ रहे बुज़ुर्ग हैं. वे पूरी मेहनत और दिल से कोशिश करते हैं कि आपका ऑर्डर सही पहुंचे, लेकिन कभी-कभी भूल हो ही जाती है. और यही भूल यहां की खूबसूरती है.यहां खाना परोसने से ज़्यादा रिश्ते परोसे जाते हैं. ग्राहक यहां स्वाद से ज्यादा संवेदना, समझ और अपनापन लेकर लौटते हैं.
एक आइडिया, जिसने सोच बदल दी
इस रेस्टोरेंट की शुरुआत टीवी प्रोड्यूसर शिरो ओगुन ने की थी. एक बार वे एक ग्रुप होम में गए, जहां डिमेंशिया से पीड़ित लोग घरेलू काम कर रहे थे. वहीं से उन्हें ख्याल आया क्यों न इन लोगों को एक ऐसा मंच दिया जाए, जहां वे समाज का हिस्सा बन सकें और खुद को बेकार नहीं, उपयोगी समझें. एक दिन उन्होंने खुद एक रेस्टोरेंट में हैमबर्गर स्टेक ऑर्डर किया, लेकिन सर्वर गलती से पॉट स्टिकर ले आया. पहली बार में झटका लगा, पर फिर उन्होंने गौर किया कि यह गलती कितनी सहज और मासूम थी. यहीं से जन्म हुआ "Restaurant of Mistaken Orders" का.
ऑर्डर गलत, अनुभव सही
प्री-लॉन्च इवेंट में जब इस रेस्टोरेंट को पहली बार खोला गया, तो 37% ऑर्डर गलत दिए गए. लेकिन दिलचस्प बात ये रही कि 99% ग्राहकों ने बताया कि उन्हें इस अनुभव से कोई शिकायत नहीं थी. इसके बजाय वे इस छोटी सी ‘गलती’ को अपनी जिंदगी की एक यादगार मुलाकात मानकर लौटे.
यहां वेटर नहीं, कहानियां मिलती हैं
यह रेस्टोरेंट उन लोगों को एक नया जीवन देता है, जिन्हें अक्सर बीमारी के कारण समाज से काट दिया जाता है. यहां का माहौल ऐसा है कि कभी-कभी सर्वर खुद ही ग्राहक के साथ बैठ जाता है – और कोई बुरा नहीं मानता, बल्कि उससे जुड़ाव महसूस करता है. ग्राहकों का कहना है कि यहां खाना जितना स्वादिष्ट होता है, उससे ज्यादा स्वाद भावनाओं का होता है. चाहे आपकी प्लेट में आपकी पसंदीदा डिश न हो, लेकिन स्वाद और सेवा का मेल दिल जीत लेता है.
स्थायी नहीं, लेकिन असरदार
यह रेस्टोरेंट कोई फुल-टाइम रेस्तरां नहीं है, बल्कि एक पॉप-अप इवेंट की तरह कुछ दिनों के लिए खुलता है. लेकिन इसकी गूंज जापान से बाहर चीन, कोरिया, ब्रिटेन जैसे देशों तक पहुंच चुकी है. इस सोच ने एक वैश्विक मूवमेंट का रूप ले लिया है.
किताबें और पुरस्कार
अब तक इस रेस्टोरेंट पर दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. The Restaurant of Mistaken Orders और How to Create a Restaurant of Mistaken Orders. साथ ही इसे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
गलती की भी एक सुंदरता होती है…
इस रेस्टोरेंट का उद्देश्य सिर्फ खाना परोसना नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश देना है कि डिमेंशिया से ग्रसित लोग भी हमारे बीच उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने कोई और. अगर हम थोड़ा धैर्य रखें, थोड़ी करुणा दिखाएं, तो हर भूल एक पुल बन सकती है दिलों को जोड़ने का.
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