'थैंक्यू डॉक्टर साहब'... तालिबान से विदेश मंत्री जयशंकर ने की फोन पर बात; जानें क्या कहा?

    काबुल में धरती हिलते ही जब तबाही का मंजर सामने आया, उसी वक्त एक पड़ोसी देश ने बिना देर किए मदद का हाथ बढ़ा दिया. अफगानिस्तान में सोमवार को आए शक्तिशाली भूकंप के बाद भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि दोस्ती और मानवता उसके लिए सबसे ऊपर है. 

    Jaishankar Speaks Taliban Says India Will Support You
    Image Source: ANI

    काबुल में धरती हिलते ही जब तबाही का मंजर सामने आया, उसी वक्त एक पड़ोसी देश ने बिना देर किए मदद का हाथ बढ़ा दिया. अफगानिस्तान में सोमवार को आए शक्तिशाली भूकंप के बाद भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि दोस्ती और मानवता उसके लिए सबसे ऊपर है. 

    विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने न केवल अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर संवेदना जताई, बल्कि राहत सामग्री भेजने का भी ऐलान किया. इस मानवीय प्रतिक्रिया ने अफगान जनता का दिल छू लिया सोशल मीडिया पर “थैंक यू इंडिया” और “जयशंकर साहब, आपने फिर दिल जीत लिया” जैसे संदेशों की बाढ़ आ गई.

    भूकंप से हिली अफगान जमीन, भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ

    अफगानिस्तान के बल्ख, समनगन और बगलान प्रांतों में आए इस भीषण भूकंप ने सैकड़ों घर तबाह कर दिए. कई लोगों की जानें चली गईं, और हजारों परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. ऐसे कठिन समय में भारत ने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी. डॉ. जयशंकर ने तुरंत मुत्ताकी को फोन किया और सहायता का भरोसा दिलाया. 

    उन्होंने एक्स (X) पर लिखा  अफगानिस्तान में आए भूकंप से प्रभावित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना है. भारत की ओर से राहत सामग्री भेजी जा रही है और दवाओं की अतिरिक्त खेप भी जल्द रवाना होगी. जयशंकर ने यह भी बताया कि यह सहायता सामग्री सीधे उन इलाकों में पहुंचाई जा रही है जहां नुकसान सबसे ज्यादा हुआ है. भारत की मदद में टेंट, कंबल, मेडिकल सप्लाई और आवश्यक राहत सामग्री शामिल है.

    सोशल मीडिया पर अफगानिस्तान की जनता ने जताया आभार

    भारत की इस त्वरित प्रतिक्रिया का असर काबुल से लेकर हेरात तक देखा गया. अफगान नागरिकों ने एक्स पर भारतीय झंडे के साथ दिल वाले इमोजी पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत आज भी उनका सच्चा साथी है. जहान-ए-फिक्र नामक यूजर ने लिखा  “धन्यवाद डॉ. जयशंकर, आपकी संवेदना और व्यवहार ने एक बार फिर अफगानों के दिल जीत लिए. जब बाकी देश चुप हैं, भारत अब भी उम्मीद का नाम है.” 

    एक अन्य अफगान महिला, वाहिदा, ने लिखा कि  “भारत का शुक्रिया, जिसने फिर एक बार हमारी त्रासदी में साथ दिया. आपकी दया उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जिन्होंने सब कुछ खो दिया. सोहेब निकजाद नाम के यूजर ने लिखा कि  “भारत हमेशा हमारे साथ खड़ा रहा है. चाहे महामारी हो या भूकंप, भारत ने कभी मुंह नहीं मोड़ा. इसी तरह, अफगान नागरिक अख्तर मोहम्मद ने जयशंकर की पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “भारत का पीपुल-टू-पीपुल संबंध हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा.”

    तालिबान सरकार से संवाद, लेकिन फोकस जनता पर

    दिलचस्प बात यह है कि भारत ने अब तक तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, फिर भी वह अफगान जनता के साथ अपने रिश्ते को जीवित रखे हुए है. जयशंकर और मुत्ताकी की यह बातचीत इस बात का संकेत है कि भारत का ध्यान सत्ता से नहीं, बल्कि इंसानियत से जुड़ा है. भारत पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान को खाद्य सामग्री, दवाइयां और अन्य मानवीय सहायता भेजता रहा है. भारत का यह रुख दर्शाता है कि वह अफगानिस्तान की जनता को अकेला नहीं छोड़ना चाहता, चाहे वहां की राजनीतिक परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो.

    इतिहास की दोस्ती फिर हो रही मजबूत

    भारत और अफगानिस्तान का रिश्ता केवल कूटनीति तक सीमित नहीं रहा है. यह दो देशों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, व्यापारिक और भावनात्मक संबंधों की नींव पर टिका है. हर कठिन समय में भारत ने अफगानिस्तान की सहायता की 2021 में काबुल संकट के बाद मानवीय सहायता भेजी गई, कोविड-19 महामारी के दौरान दवाइयों की खेप पहुंचाई गई, और अब भूकंप में फिर वही दोस्ती एक नई मिसाल बन गई. इस बार की भारत की प्रतिक्रिया न केवल मानवीय दृष्टि से प्रेरणादायक है, बल्कि कूटनीतिक दृष्टि से भी संकेत देती है कि भारत “शांत शक्ति” के रूप में दुनिया में अपनी भूमिका निभा रहा है.

    हम उपकार का बदला खुशी से लौटाएंगे

    अफगान सोशल मीडिया पर एक भावना बार-बार झलक रही है. कृतज्ञता. अफगान नागरिक रेजा होसैनी ने लिखा, “भारत जैसा मित्र राष्ट्र हमारे लिए वरदान है. एक दिन हम भी इस उपकार का बदला खुशियों के रूप में लौटाएंगे.” इन प्रतिक्रियाओं से साफ है कि भारत की “साइलेंट डिप्लोमेसी” जनता के दिलों में जगह बना रही है. यह मदद राजनीतिक शोर-शराबे से दूर, एक सच्ची संवेदना की मिसाल है.

    मानवता की डिप्लोमेसी,  भारत की पहचान

    भारत का यह मानवीय कदम दिखाता है कि वैश्विक राजनीति में भी संवेदना और भरोसे की भाषा अब भी जिंदा है. अफगानिस्तान जैसे संकटग्रस्त देश के लिए भारत का समर्थन केवल राहत नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक संबल भी है. यह विश्वास कि दुनिया में अब भी कोई है जो सिर्फ “इंसान” देखकर मदद करता है.

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