पड़ोसी देश को हमेशा ‘स्मूद सेलिंग’की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, किसे लेकर जयशंकर ने कही ये बात?

    भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया है कि आज का भारत अपने पड़ोसियों से रिश्तों में "सहूलियत की उम्मीद" नहीं करता, बल्कि अब संबंधों की बुनियाद साझा हितों और रणनीतिक संतुलन पर टिकेगी.

    Jaishankar Remarks on Bangladesh over expecting smooth selling
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    भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया है कि आज का भारत अपने पड़ोसियों से रिश्तों में "सहूलियत की उम्मीद" नहीं करता, बल्कि अब संबंधों की बुनियाद साझा हितों और रणनीतिक संतुलन पर टिकेगी. उन्होंने कहा कि भारत ने एक ऐसा वातावरण तैयार किया है, जहां पड़ोसी देशों को यह समझ आए कि भारत के साथ सहयोग करना उनके हित में है.अगर कोई भारत से दूरी बनाएगा, तो उसे नुकसान होगा," जयशंकर ने डीडी इंडिया को दिए गए इंटरव्यू में यह संदेश साफ शब्दों में दिया.

    पड़ोसी देश: साझेदारी या दूरी?

    जयशंकर ने बिना किसी देश का नाम लिए यह भी इशारा किया कि कुछ पड़ोसियों को भारत के साथ सहयोग के फायदों को समझने में समय लग सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टिप्पणी बांग्लादेश को ध्यान में रखकर की गई थी. उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों के साथ इस तरह के रिश्ते बनाए हैं, जहां सरकारें बदलती रहीं, लेकिन भारत के साथ संवाद और सहयोग स्थिर बना रहा.

    चीन से नज़रें नहीं चुराएगा भारत

    2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में स्थायी तनाव की स्थिति बनी हुई है. इस पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा, भारत की पुरानी गलती थी कि हमने सीमा पर ध्यान नहीं दिया और बाकी नीति बनाई. अब हम सीमा पर मजबूती से खड़े हैं. उन्होंने ज़ोर दिया कि अब भारत ने बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को इतना मज़बूत कर लिया है कि LAC पर देश की संप्रभुता की रक्षा पूरी तरह संभव है.

    अमेरिका से रिश्ते: भरोसे से ज़्यादा रणनीति

    अमेरिका को लेकर जयशंकर ने कहा कि वह एक ‘अनिश्चित शक्ति’ (Unpredictable Power) है, इसलिए भारत ने उससे अपने रिश्ते कई स्तरों पर संतुलित तरीके से बनाए हैं. भारत अब भावनाओं की जगह रणनीति से रिश्ते तय करता है.

    पाकिस्तान, आतंकवाद और भारत की ‘नई नीति’

    विदेश मंत्री ने स्वीकार किया कि लंबे समय तक भारत पाकिस्तान के खिलाफ एक जैसी नीति अपनाता रहा, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. उन्होंने कहा, 26/11 के बाद भारत की सोच बदली. अब भारत सिर्फ जवाब नहीं देता, जरूरत पड़े तो पहले भी हमला करता है. जयशंकर ने उरी सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक, और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों का जिक्र करते हुए कहा कि यह सभी घटनाएं एक व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं.

    विदेश नीति में मोदी का योगदान

    डॉ. जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बदलाव का मुख्य सूत्रधार बताया. उन्होंने कहा, मोदी केवल नेता नहीं, एक युग का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह भारत के आत्मविश्वास को दुनिया के सामने रखते हैं. भारत की विदेश नीति अब बहुध्रुवीय दुनिया को ध्यान में रखकर गढ़ी जा रही है, जहां भारत सहयोग और प्रतिस्पर्धा दोनों में अपनी जगह बना रहा है.

    जयशंकर की विदेश नीति का सार: समस्याएं कम, फायदे ज्यादा

    उन्होंने अपने इंटरव्यू का समापन इस बात पर किया कि भारत अब ऐसी विदेश नीति अपना रहा है, जहां उसे न्यूनतम समस्याओं का सामना करना पड़े और वैश्विक मंच पर अधिकतम लाभ मिल सके. आज की दुनिया में कई ताकतें एक-दूसरे से टकराती भी हैं और साथ काम भी करती हैं. भारत की कोशिश यही है कि वह हर स्थिति में संतुलन बनाए रखे.

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