वॉशिंगटन/बीजिंग: वैश्विक सैन्य शक्ति की दौड़ में अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा अब एक नए स्तर पर पहुंच चुकी है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका F-47 नामक छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के विकास को आगे बढ़ा रहा है. इस बीच, चीन पहले ही अपने J-36 और J-50 लड़ाकू विमानों के प्रोटोटाइप उड़ाकर दुनिया को चौंका चुका है.
क्या यह गेम चेंजर होगा F-47?
मार्च 2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बोइंग को F-47 लड़ाकू विमान के विकास की जिम्मेदारी सौंपी. यह विमान अमेरिकी वायु सेना के ‘नेक्स्ट जनरेशन एयर डोमिनेंस’ (NGAD) कार्यक्रम का हिस्सा है. ट्रंप के अनुसार, यह विमान दुनिया का पहला वास्तविक छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान होगा, जो तकनीकी रूप से किसी भी अन्य देश के विमान से कई कदम आगे रहेगा. हालांकि, पेंटागन ने इस परियोजना की विस्तृत जानकारी साझा नहीं की है, जिससे इसे लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं.
चीन की तेज़ रफ्तार प्रगति
चीन ने अपने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकास कार्यक्रम को गोपनीय रखा है, लेकिन 2024 के अंत में, J-36 और J-50 प्रोटोटाइप की परीक्षण उड़ानों की खबरें सामने आईं. चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (CAC) द्वारा विकसित J-36 और शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (SAC) द्वारा विकसित J-50 के प्रदर्शन को लेकर अभी तक आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि ये विमान स्टील्थ तकनीक, उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध प्रणाली से लैस हो सकते हैं.
छठी पीढ़ी के विमान की विशेषताएं
विशेषज्ञों का मानना है कि छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में निम्नलिखित तकनीकी विशेषताएं हो सकती हैं:
स्टील्थ क्षमता: अत्याधुनिक लो-ऑब्जर्वेबल तकनीक से लैस होने की संभावना.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): उन्नत AI सिस्टम, जो पायलट को रणनीतिक फैसले लेने में मदद करेगा.
हाइपरसोनिक हथियार: हाइपरसोनिक गति से यात्रा करने वाली मिसाइलों को ले जाने की क्षमता.
स्वार्म ड्रोन टेक्नोलॉजी: स्वायत्त ड्रोनों के साथ समन्वित युद्ध संचालन की संभावना.
अमेरिका बनाम चीन: कौन रहेगा आगे?
जहां अमेरिका अपने F-47 को विकसित करने में जुटा हुआ है, वहीं चीन ने J-36 और J-50 को पहले ही हवा में उतार दिया है. यह स्पष्ट है कि दोनों देश छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की दौड़ में पूरी ताकत से लगे हुए हैं. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कौन सा देश पहले अपने नए विमान को पूर्ण रूप से विकसित और तैनात कर पाता है.
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