अमेरिका की सैन्य वर्चस्व की दीवार को चुनौती देने की चीन की कोशिशें अब और तेज़ होती जा रही हैं. हाल ही में चीन से आई कुछ नई सैटेलाइट तस्वीरों और लीक विजुअल्स ने वैश्विक सैन्य विश्लेषकों को चौंका दिया है.
इन तस्वीरों में एक ऐसा विमान देखा गया है, जिसकी बनावट और डिज़ाइन संकेत देते हैं कि यह या तो चीन का अगला छठी पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट हो सकता है या फिर एक हाई-एंड ऑटोनॉमस स्टेल्थ ड्रोन. इन संभावनाओं के बीच एक बात तो तय है. चीन अपनी एयरोस्पेस ताकत को किसी भी कीमत पर अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए तैयार करना चाहता है.
नया विमान: फाइटर जेट या एडवांस ड्रोन?
हालिया तस्वीरों में जो एयरक्राफ्ट नजर आ रहा है, उसकी संरचना अब तक देखे गए किसी भी चीनी विमान से अलग है. इसकी बॉडी W-आकार की दिखती है और इसमें दो बड़े इंजन इंटेक्स हैं. सबसे खास बात यह है कि विमान में वर्टिकल स्टेबलाइज़र नहीं है, जो इसे लो-ऑब्ज़र्वेबिलिटी यानी रडार से छुपे रहने की उच्च क्षमता वाला बनाता है.
हालांकि, तस्वीरें इतनी स्पष्ट नहीं हैं कि यह बताया जा सके कि इसमें कॉकपिट है या नहीं. इसका मतलब यह है कि यह विमान मानवयुक्त भी हो सकता है और पूरी तरह से स्वायत्त ड्रोन भी. इसके डिज़ाइन की एक और खास बात है. भारी-भरकम फ्यूज़लाज, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें लंबी दूरी तक उड़ान भरने और हथियार ले जाने की भरपूर क्षमता होगी.
J-36 का प्रतिद्वंदी या नया कॉम्बैट ड्रोन्स सिस्टम?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विमान शेनयांग के J-XDS (या J-50) प्रोग्राम के समान हो सकता है, जो पहले ही छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के रूप में सुर्खियों में रहा है. वहीं कुछ रणनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि यह कोई 'लोयल विंगमैन' टाइप एडवांस कॉम्बैट ड्रोन हो सकता है, जो अमेरिका के 'CCA' (Collaborative Combat Aircraft) कार्यक्रम की काट के तौर पर तैयार किया जा रहा है. अगर यह वाकई ड्रोन है, तो यह दर्शाता है कि चीन ने मानव-मशीन कॉर्डिनेशन को एक नए स्तर तक पहुंचाने की दिशा में लंबी छलांग लगाई है.
क्यों है यह चीन के लिए रणनीतिक हथियार
इस नए विमान के जरिए चीन अपनी "एयरोस्पेस स्वायत्तता" को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. चीन ने पहले ही J-20 और J-35 जैसे फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट्स के जरिए अपनी क्षमताओं को दुनिया के सामने रख दिया है. अब वह एक साथ दो छठी पीढ़ी के स्टेल्थ प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है. एक संभवतः मानवयुक्त और दूसरा पूरी तरह से ऑटोनॉमस.
यह रणनीति अमेरिका की उस नीति से मिलती-जुलती है, जिसमें वह मानव पायलट के साथ-साथ स्वायत्त और AI-समर्थित विमानों को युद्ध क्षेत्र में उतारने की योजना बना रहा है. इससे जाहिर होता है कि चीन महज सैन्य हार्डवेयर पर ही नहीं, बल्कि युद्ध की अवधारणा में भी क्रांति लाना चाहता है.
चीन की एयरोस्पेस ताकत, अब कोई सपना नहीं
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने जिस रफ्तार से रक्षा क्षेत्र में तकनीकी विस्तार किया है, उसने अमेरिका, भारत और अन्य पश्चिमी देशों की नींद उड़ा दी है. चीन का लक्ष्य सिर्फ तकनीकी क्षमता हासिल करना नहीं है, बल्कि वह दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि वह भविष्य की लड़ाइयों में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है. स्वार्म ड्रोन, AI-आधारित कमांड कंट्रोल सिस्टम और स्टील्थ एयरक्राफ्ट के जरिए चीन एक ऐसे युद्धक्षेत्र की कल्पना कर रहा है, जहां पायलट की भूमिका सीमित होगी और मशीनें ही निर्णायक होंगी.
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