ईरानी नेताओं के बॉडीगार्ड्स की वजह से बंकर तक पहुंचा इजरायल, सीक्रेट मीटिंग को किया हैक, गिराए 6 बम

    ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध की शुरुआत को अभी कुछ ही दिन बीते थे, लेकिन इसके बावजूद घटनाक्रम तेजी से बदल रहे थे.

    Israel reached the bunker because of the bodyguards of Iranian leaders
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    तेहरान/तेल अवीव: ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध की शुरुआत को अभी कुछ ही दिन बीते थे, लेकिन इसके बावजूद घटनाक्रम तेजी से बदल रहे थे. दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों और सैन्य ताकतों के बीच चालें ऐसी चली जा रही थीं जो किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं लगतीं.

    इज़राइल की एक हमले की रणनीति ने सबको चौंका दिया, जब उसने ईरान के भीतर 100 फीट गहरे बंकर में चल रही एक अति गोपनीय बैठक को न केवल ट्रैक किया, बल्कि उसे निशाना बनाते हुए 6 शक्तिशाली बम गिराए. यह हमला आधुनिक खुफिया तकनीकों, डिजिटल जासूसी और सुरक्षा चूकों का एक जटिल मिश्रण था.

    आइए विस्तार से समझते हैं कि यह हमला कैसे हुआ, इसके पीछे की रणनीति क्या थी और इसका असर ईरान-इज़राइल संघर्ष पर कितना गहरा पड़ा.

    बंकर जो किसी को नहीं पता था… फिर भी मिला निशाना

    13 जून 2025 को इज़राइल ने एक बड़ा हमला कर ईरान के परमाणु और सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद ईरान की शीर्ष राजनीतिक और सैन्य लीडरशिप ने एक आपात बैठक बुलाई.

    यह बैठक एक पहाड़ी के नीचे बने 100 फीट गहरे बंकर में हो रही थी, जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि बाहरी दुनिया को इसकी मौजूदगी तक का पता न चले. इसमें ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजशकियान, खुफिया मंत्रालय के प्रमुख और कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल थे.

    इसके बावजूद इज़राइल ने न केवल इस बंकर की जानकारी जुटाई, बल्कि उस पर सटीक हमले की योजना भी बनाई. इज़राइली वायुसेना ने बंकर के एंट्री और एग्जिट पॉइंट को निशाना बनाते हुए 6 बम गिराए, जिससे अंदर मौजूद सभी लोगों का दम घुटने लगा. हालांकि बड़ी लीडरशिप जान बचाने में सफल रही, लेकिन राष्ट्रपति पजशकियान घायल हो गए और बाहर तैनात सभी बॉडीगार्ड मारे गए.

    सुरक्षाकर्मियों की मोबाइल बनी सबसे बड़ी चूक

    इस हमले की कहानी यहीं खत्म नहीं होती. असली मोड़ तब आया जब सामने आया कि इज़राइल को इस बंकर की जानकारी ईरानी सुरक्षाकर्मियों के मोबाइल फोन से मिली थी.

    हालांकि लीडर्स खुद बगैर मोबाइल पहुंचे थे, लेकिन उनके ड्राइवरों और बॉडीगार्ड्स ने सुरक्षा निर्देशों की अनदेखी की. उन्होंने न सिर्फ फोन साथ लाए, बल्कि सोशल मीडिया पर पोस्टिंग और कॉलिंग भी की.

    इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने इन मोबाइल फोन को हैक कर लिया और यह पता लगा लिया कि बंकर की लोकेशन क्या है और बैठक किस समय हो रही है. इसके बाद बंकर के वेंटिलेशन सिस्टम और मुख्य प्रवेश द्वारों को खासतौर पर निशाना बनाकर हमला किया गया, ताकि अंदर फंसे लोग बाहर न निकल सकें.

    पजशकियान ने बचाई जान, लेकिन घायल हुए

    हमले के बाद बिजली गुल हो गई और बंकर के सभी मुख्य रास्ते ध्वस्त हो गए. लेकिन एक इमरजेंसी एक्सिट ने लीडर्स की जान बचा ली.

    राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने खुद बताया कि उन्होंने मलबे में एक छोटा सा छेद देखा, जिससे हल्की हवा आ रही थी. उन्होंने हाथों से मलबा हटाया और एक-एक करके बाकी अधिकारियों को बाहर निकाला. इस दौरान उनके पांव में चोट आई, जबकि बाकी अधिकारी भी हल्की चोटों के साथ बाहर निकल पाए.

    ईरानी अधिकारियों ने बाद में माना कि सुरक्षा में सबसे बड़ी चूक यही थी कि बॉडीगार्ड्स ने फोन का इस्तेमाल किया, और यही गलती जानलेवा साबित हुई.

    200 फाइटर जेट से परमाणु ठिकानों पर हमला

    13 जून को इज़राइल ने युद्ध की शुरुआत करते हुए ईरान के 4 परमाणु और 2 सैन्य ठिकानों पर एकसाथ हमला किया. इसमें 200 फाइटर जेट शामिल थे. इज़राइल ने दावा किया कि ईरान परमाणु बम बनाने की अंतिम स्थिति में था, इसलिए यह हमला "आत्मरक्षा" में किया गया.

    हमले में 14 परमाणु वैज्ञानिक और 20 से अधिक सैन्य कमांडर मारे गए. इज़राइल का कहना था कि ईरान के पास 15 परमाणु बम बनाने जितना यूरेनियम जमा हो चुका था.

    इसके अलावा हथियार निर्माण करने वाली एक बड़ी फैक्ट्री और सैन्य अधिकारियों का रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स भी ध्वस्त कर दिया गया.

    ईरान का जवाबी हमला: 'ट्रू प्रॉमिस थ्री' ऑपरेशन

    इज़राइली हमले के बाद ईरान ने भी जवाब देने में देर नहीं लगाई. उसने 'Operation True Promise 3' के तहत 150 से ज्यादा मिसाइलें इज़राइल पर दागीं.

    16 जून को ईरान ने केंद्रीय इज़राइल में कई जगह बैलिस्टिक मिसाइल हमले किए, जिसमें 8 नागरिकों की मौत और 200 से अधिक लोग घायल हुए.

    इसी दिन इज़राइल ने तेहरान स्थित राष्ट्रीय टीवी चैनल IRIB की बिल्डिंग पर हमला किया. उस समय एक एंकर लाइव शो होस्ट कर रही थी. धमाके के बाद वह स्टूडियो से भागती नजर आई. वीडियो वायरल हुआ, जिसमें स्टूडियो की स्क्रीन ब्लैक हो गई.

    'ऑपरेशन रेड वेडिंग': इज़राइल का कमांडर किलिंग प्लान

    इज़राइल का अगला बड़ा मिशन था 'Operation Red Wedding' — एक ऐसा प्लान, जिसमें ईरान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को युद्ध की शुरुआत में ही खत्म करना शामिल था.

    टारगेट पर सबसे ऊपर था - ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली हाजीजादेह, जो रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की एयरोस्पेस फोर्स के प्रमुख थे.

    इस योजना के तहत, इज़राइल ने जनवरी से जून 2025 के बीच ईरान के 400 वैज्ञानिकों की सूची बनाई, जिन्हें संभावित टारगेट माना गया. फिर इस लिस्ट को घटाकर 100 वैज्ञानिकों पर सीमित किया गया, और पहले ही दिन 14 वैज्ञानिकों को मार गिराया गया.

    2022 से ही चल रही थी निगरानी

    जानकारी के मुताबिक, इज़राइल ने 2022 से ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बारीकी से नजर रखनी शुरू कर दी थी. अमेरिकी दबाव की वजह से कार्रवाई टाली जाती रही, लेकिन जैसे ही हालात बदले, इज़राइल ने अपने स्लीपर एजेंट्स और डिकैपिटेशन टीमें एक्टिव कर दीं.

    मोसाद ने न केवल ईरान के अंदर जासूसी नेटवर्क फैलाया, बल्कि साइबर इंटेलिजेंस के ज़रिए मोबाइल डिवाइसेज़, सोशल मीडिया अकाउंट्स और कम्युनिकेशन चैनल्स तक को निगरानी में ले लिया.

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