इजरायल की प्रतिष्ठित खुफिया एजेंसी मोसाद के पूर्व प्रमुख योसी कोहेन ने देश की मौजूदा सरकार और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है. कोहेन ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हुए हमास हमले और उसके बाद की सैन्य और राजनीतिक विफलताओं के लिए सीधा जिम्मेदार नेतन्याहू को ठहराया है.
कोहेन का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री ने नेतृत्व की जिम्मेदारी समय रहते ली होती, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कैसे गाजा को लेकर उनके प्रस्तावों को नजरअंदाज किया गया और किस तरह से सरकार ने संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों से खुद को अलग कर लिया.
'डेढ़ साल से कोई बात नहीं हुई नेतन्याहू से'
इजरायली समाचार पोर्टल Ynet को दिए गए एक इंटरव्यू में कोहेन ने कहा, मैंने पिछले 18 महीनों में प्रधानमंत्री से कोई संवाद नहीं किया है. 7 अक्टूबर की त्रासदी की पूरी जिम्मेदारी नेतन्याहू और उनके नेतृत्व वाली सरकार की है. यह एक ऐसी जिम्मेदारी है, जिसे किसी संकट के बाद नहीं, बल्कि कार्यकाल की शुरुआत में निभाना चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इतने गंभीर सुरक्षा संकट के बाद भी प्रधानमंत्री का रवैया टालमटोल और अस्वीकार का रहा, जिससे हालात और बिगड़े.
गाजा से एक लाख फिलिस्तीनियों को हटाने की योजना
योसी कोहेन ने एक और बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने एक समय नेतन्याहू को एक रणनीतिक योजना का प्रस्ताव दिया था. जिसमें गाजा पट्टी के करीब 10 लाख फिलिस्तीनियों को अस्थायी तौर पर मिस्र के सिनाई क्षेत्र में स्थानांतरित करने की बात थी. हालांकि इस प्रस्ताव को शुरुआती मंजूरी मिल गई थी, लेकिन जब कोहेन ने इसे लेकर कतर और मिस्र के साथ बातचीत शुरू की, तो प्रधानमंत्री कार्यालय और मोसाद ने इस योजना से सार्वजनिक रूप से दूरी बना ली. कोहेन ने इसे “निराशाजनक” और “चौंकाने वाला” बताया.
'गाजा में खुफिया विफलता और सरकारी बेरुखी'
गाजा को लेकर कोहेन ने कहा कि 2014 के ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज के बाद भी वहां की खुफिया जानकारी बेहद अधूरी और कमजोर थी. उन्होंने सुझाव दिया था कि मोसाद को विशेष अभियान चलाकर गाजा में सक्रिय रूप से घुसपैठ करनी चाहिए, लेकिन सरकारी सहयोग इतना न्यूनतम था कि खुफिया ऑपरेशन लगभग असंभव हो गए. उनके मुताबिक, नेतन्याहू सरकार का रवैया हर बार "टालने और चुप रहने" वाला रहा जिसकी कीमत देशवासियों ने अपनी जान देकर चुकाई.
ईरान पर मोसाद की सबसे बड़ी सफलता
अपने कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कोहेन ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी सफलता रही — ईरान के परमाणु दस्तावेजों को हासिल करना, जो मोसाद के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है. उन्होंने यह भी दावा किया कि वे 2004 में उन शुरुआती अधिकारियों में से थे जिन्होंने बीपर्स के जरिए बम विस्फोट" की अवधारणा विकसित की थी. जो बाद में हिज़बुल्लाह जैसे संगठनों के खिलाफ अभियानों में इस्तेमाल की गई. मैंने मोसाद के तत्कालीन प्रमुख मीर डगन से कहा था कि यह तकनीक भविष्य में गेमचेंजर साबित होगी, और वही हुआ.
राजनीति से ऊपर देशहित की बात
कोहेन का दावा है कि उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य राजनीतिक नहीं, बल्कि देशहित में किया गया सच उजागर करना है. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस तरह की बेबाक राय रखने की वजह से उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
नेतन्याहू के लिए बढ़ती मुश्किलें
योसी कोहेन की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री नेतन्याहू पहले से ही कई मोर्चों पर घिरे हुए हैं — गाजा युद्ध, आंतरिक असंतोष, और भ्रष्टाचार के मामलों ने उनकी लोकप्रियता को झटका दिया है. पूर्व मोसाद प्रमुख जैसे कद्दावर व्यक्ति द्वारा इस तरह की आलोचना नेतन्याहू के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती मानी जा रही है.
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