Afghanistan earthquakes: प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहा अफगानिस्तान एक बार फिर ज़मीन के हिलते ही दहल उठा. शुक्रवार रात 10:55 बजे एक और भूकंप ने देश को हिला कर रख दिया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.0 मापी गई. यह झटका पिछले 12 घंटों में दूसरा शक्तिशाली भूकंप था, जिसकी पुष्टि जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) ने की है.
बीते चार दिनों में बार-बार आए इन भूकंपों ने देश को गहरे संकट में धकेल दिया है. अब तक करीब 2,205 लोगों की मौत हो चुकी है, और हजारों लोग घायल हैं. तालिबान प्रशासन के अनुसार, 3,640 से अधिक लोग घायल हैं, जबकि राहत और बचाव कार्य अब भी जारी हैं.
नांगरहार प्रांत बना भूकंप का केंद्र
नांगरहार प्रांत में भूकंप के झटके लगातार महसूस किए जा रहे हैं. स्थानीय निवासियों ने बताया कि ज़मीन थमने का नाम नहीं ले रही और लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए हैं. शुक्रवार को आया 5.4 तीव्रता का भूकंप दक्षिण-पूर्व में लगभग 10 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया.
भूकंप से ज्यादा, ज़रूरतों की त्रासदी
भूकंप से बचे लोग अब दूसरी चुनौती से जूझ रहे हैं, बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी. भोजन, दवा, साफ पानी और आश्रय जैसी ज़रूरतें पूरी करना सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हालात को "गंभीर मानवीय संकट" बताते हुए 4 मिलियन डॉलर की सहायता की अपील की है.
संकट में साथ देने की पुकार
जैसे-जैसे मलबे से शव और घायलों को निकाला जा रहा है, अफगानिस्तान का दर्द गहराता जा रहा है. युद्ध, गरीबी और अब भूकंप, ये त्रासदियाँ मिलकर एक लंबे समय से पीड़ित देश को और अंधेरे में धकेल रही हैं. ज़रूरत है वैश्विक सहयोग की, और समय पर मदद की.
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