मिसाइल, जेट ईंधन, सेना तैनाती... जंग में हर दिन 6000 करोड़ खर्च कर रहा इजराइल, गहराया आर्थिक संकट!

    इजराइल को इस युद्ध में प्रतिदिन 725 मिलियन डॉलर (लगभग ₹6,000 करोड़) खर्च करने पड़ रहे हैं.

    Israel is spending 6000 crores every day in the war,
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    तेल अवीव: ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष अब केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं रहा. यह युद्ध इजराइल की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रहा है, जिससे देश की वित्तीय स्थिरता और सामाजिक संरचना दोनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है.

    पूर्व रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल रीम एमीनाक के अनुसार, इजराइल को इस युद्ध में प्रतिदिन 725 मिलियन डॉलर (लगभग ₹6,000 करोड़) खर्च करने पड़ रहे हैं. यह आंकड़ा सिर्फ सैन्य परिचालन जैसे मिसाइल लॉन्च, जेट ईंधन, बमबारी और सैन्य तैनाती तक सीमित है — वास्तविक लागत इससे कहीं अधिक हो सकती है जब नागरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, चिकित्सा आपात स्थितियां और उत्पादकता में गिरावट को शामिल किया जाए.

    वित्तीय दबाव में इजराइल की अर्थव्यवस्था

    इजराइली वित्त मंत्रालय ने हाल ही में 2025 की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 4.3% से घटाकर 3.6% कर दिया है. यह कटौती सीधे युद्ध के बढ़ते खर्च और उससे जुड़े अनिश्चित माहौल को दर्शाती है.

    इसी के साथ, देश का बजट घाटा — जो पहले ही GDP का 4.9% अनुमानित था — अब और गहराने की संभावना है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युद्ध लंबा खिंचता है, तो यह घाटा 6% से अधिक भी हो सकता है.

    दो दिनों में ₹12,500 करोड़ की सैन्य लागत

    13 जून को ईरान के खिलाफ शुरू हुए ऑपरेशन के पहले 48 घंटों में ही इजराइल ने लगभग 1.45 अरब डॉलर (₹12,500 करोड़) खर्च किए. इनमें से अधिकांश राशि एयरस्ट्राइक, डिफेंस ऑपरेशंस और लॉजिस्टिक्स पर गई.

    यह पैमाना दर्शाता है कि युद्ध केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि वित्तीय रूप से भी अत्यधिक महंगा हो रहा है — खासकर तब, जब देश हाल ही में गाजा पट्टी में भी सैन्य अभियान चला चुका है.

    रक्षा बजट दोगुना, समाजिक क्षेत्रों पर असर

    इजराइल का रक्षा बजट 2023 के 15 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 में 31 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 7% है — जो दुनिया में यूक्रेन के बाद सबसे अधिक है.

    इस भारीभरकम सैन्य खर्च का सीधा प्रभाव स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर पड़ रहा है. सरकार के पास संसाधनों का पुनर्विनियोजन अब एक चुनौती बन चुका है.

    अमेरिकी समर्थन बना इजराइल की ढाल

    वर्तमान संकट में इजराइल को अमेरिका से मिल रही सैन्य सहायता अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रही है. वॉशिंगटन सालाना 3.3 अरब डॉलर (लगभग ₹30,000 करोड़) की रक्षा सहायता ‘इजराइल फंड’ के तहत देता है. इसके अलावा, अमेरिका आयरन डोम और एयरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए भी विशेष फंडिंग प्रदान करता है.

    हाल के घटनाक्रमों में इजराइल की मिसाइल डिफेंस क्षमताएं सीमित होती दिख रही हैं, जिससे अमेरिका से और अधिक आधुनिक सैन्य प्रणालियों की मांग तेज हो गई है.

    तेल की कीमतें और वैश्विक बाजारों पर असर

    मध्य पूर्व में युद्ध छिड़ने का सीधा असर वैश्विक ऊर्जा बाजार पर देखने को मिला है. ब्रेंट क्रूड के दाम 5% बढ़कर 74.60 डॉलर प्रति बैरल हो चुके हैं. वहीं, S&P 500 और एशियाई शेयर बाजारों में भी अस्थिरता आई है.

    जल परिवहन मार्गों पर खतरे के कारण ऊर्जा आपूर्ति और व्यापार मार्गों पर तनाव बढ़ रहा है, जिससे वैश्विक आर्थिक रिकवरी को चुनौती मिल सकती है.

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