भारत को कॉपी करता है अमेरिका, ईरान पर अटैक में अपनाई ये नीति

    Iran and Israel War: अमेरिका ने ईरान पर एक हाई-प्रिसिजन सैन्य अभियान चलाकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है. यह ऑपरेशन भारत के चर्चित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीति से काफी मिलता-जुलता बताया जा रहा है.

    Israel iran war b2 bomber attack on iran takes india strategy
    Image Source: Social Media

    Iran and Israel War: अमेरिका ने ईरान पर एक हाई-प्रिसिजन सैन्य अभियान चलाकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है. यह ऑपरेशन भारत के चर्चित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीति से काफी मिलता-जुलता बताया जा रहा है. अमेरिकी वायुसेना के अत्याधुनिक B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने ईरान के गुप्त और अत्यधिक सुरक्षित परमाणु ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमला किया और मिशन को अंजाम देकर बिना किसी रुकावट के वापस लौट आए.

    बिना शोर के आई तबाही

    यह पूरा ऑपरेशन अमेरिकी और इजरायली खुफिया एजेंसियों द्वारा महीनों की प्लानिंग का नतीजा था. पहले टारगेट की सटीक पहचान की गई — जिसमें ईरान के फोर्डो, नतांज, और इस्फहान जैसे अंडरग्राउंड न्यूक्लियर फैसिलिटीज शामिल थीं. इसके बाद GBU-57 बंकर बस्टर जैसे बेहद ताकतवर हथियारों का इस्तेमाल कर इन ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया. फोर्डो को लेकर सबसे ज्यादा चिंता जताई गई, क्योंकि यह ठिकाना ज़मीन के सैकड़ों फीट नीचे स्थित है. लेकिन अमेरिका ने यह साबित कर दिया कि उसकी सैन्य तकनीक इतनी उन्नत है कि ज़मीन के भीतर छिपे ठिकाने भी सुरक्षित नहीं.

    ‘हमला करो, लौट आओ’ की रणनीति

    अमेरिका का यह हमला पूरी तरह से ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के सिद्धांत पर आधारित था. बिल्कुल वैसे ही जैसे भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने ऑपरेशन में किया था. फर्क सिर्फ इतना था कि अमेरिका ने ईरान की सीमा के भीतर घुसकर ये कार्रवाई की, जबकि भारत का ऑपरेशन सीमावर्ती क्षेत्र तक सीमित था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस ऑपरेशन की निगरानी वॉर रूम से की और समय-समय पर अपने सैन्य अधिकारियों से फीडबैक लिया.

    क्या ईरान में भी होगा भूकंप जैसा असर?

    इस हमले के बाद एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या ईरान में भी भूकंप जैसे झटके या रेडियोधर्मी रिसाव देखने को मिलेंगे? विशेषज्ञों के अनुसार, अगर हमले में प्रयोगशालाएं और यूरेनियम समृद्धिकरण के केंद्र बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, तो यह संभावित है कि जमीन के भीतर प्लेट्स प्रभावित हो सकती हैं और स्थानीय पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच सकता है. पाकिस्तान में भी भारतीय स्ट्राइक के बाद ऐसे ही भूगर्भीय असंतुलन की खबरें सामने आई थीं.

    अब आगे क्या?

    ईरान की प्रतिक्रिया का सभी को इंतज़ार है. देश के शीर्ष नेतृत्व ने अमेरिका को "ऐसे नुकसान की चेतावनी दी है जो उसने कभी देखा नहीं होगा". यह साफ है कि मामला सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि भूराजनीतिक और पर्यावरणीय मोर्चे पर भी गहराता जा रहा है.अमेरिका का यह कदम दुनिया को यह संकेत भी दे रहा है कि चाहे कोई देश कितना भी सुरक्षित क्यों न समझे खुद को, तकनीक और रणनीति के बल पर हर खतरे को रोका जा सकता है.

    यह भी पढ़ें: अमेरिका के हमले से फोर्डो को नहीं हुआ नुकसान? ईरान के इस दावे को सऊदी अरब ने भी किया कन्फर्म, सच क्या है?