क्या अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौतों को रद्द कर रहा है भारत? विदेश मंत्रालय ने सबूत के साथ दी जानकारी

    हाल ही में भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर सोशल मीडिया पर एक भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, जब कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क्स पर यह दावा किया गया कि भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक समझौतों को रद्द करने की योजना बना रहा है.

    Is India cancelling trade agreements with America
    Image Source: ANI

    नई दिल्ली: हाल ही में भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर सोशल मीडिया पर एक भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, जब कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क्स पर यह दावा किया गया कि भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक समझौतों को रद्द करने की योजना बना रहा है. इस खबर ने न केवल कूटनीतिक हलकों में हलचल पैदा की, बल्कि आम नागरिकों और निवेशकों के बीच भी अनावश्यक चिंता का वातावरण बना दिया.

    हालांकि, इन अटकलों पर विदेश मंत्रालय ने त्वरित प्रतिक्रिया दी और स्पष्ट किया कि इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है. मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर सक्रिय रूप से फैलाई जा रही गलत सूचनाओं को पूरी तरह से खारिज कर दिया और इन अफवाहों को ‘निराधार’ बताया.

    विदेश मंत्रालय का आधिकारिक बयान

    विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "भारत सरकार अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार के व्यापारिक समझौतों को रद्द करने की प्रक्रिया में नहीं है. सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही जानकारियां पूरी तरह से तथ्यहीन हैं और इन पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए."

    मंत्रालय ने कुछ विशिष्ट सोशल मीडिया अकाउंट्स जैसे Middle Eastern Affairs और China in English द्वारा पोस्ट किए गए स्क्रीनशॉट्स का हवाला देते हुए कहा कि यह जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश हो सकती है. मंत्रालय ने नागरिकों और मीडिया से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं पर ही भरोसा करें और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों से बचें.

    भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध

    भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते ऐतिहासिक रूप से जटिल रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इनमें नई गति भी आई है. दोनों देशों ने रक्षा, तकनीक, ऊर्जा, और डिजिटल इकोनॉमी जैसे कई क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ावा दिया है. हालांकि कुछ क्षेत्रों में मतभेद भी देखने को मिलते हैं, जैसे कि भारत का रूस से तेल और हथियार खरीदना, जिसे लेकर अमेरिका विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान असहज रहा है.

    ट्रंप ने भारत की ऊर्जा और रक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए चेतावनी दी थी कि यदि भारत रूस से इन क्षेत्रों में व्यापार जारी रखता है, तो अमेरिका आर्थिक दंड लगाने पर विचार कर सकता है. इसके अलावा, ट्रंप ने भारत को लेकर कुछ कठोर टिप्पणियाँ भी की थीं, जैसे भारत को “मृत अर्थव्यवस्था” कहना और BRICS देशों की भूमिका पर नाराज़गी जताना.

    स्वदेशी अभियान और अमेरिका पर प्रभाव

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत और ‘स्वदेशी अपनाओ’ जैसे अभियानों को लगातार प्रोत्साहन मिलने से यह धारणा भी बनी कि भारत विदेशी व्यापार, खासकर अमेरिका के साथ व्यापार, को सीमित करना चाहता है. लेकिन विदेश मंत्रालय के ताज़ा बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत का उद्देश्य अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है, न कि वैश्विक साझेदारियों को कमजोर करना.

    यह भी ध्यान देने योग्य है कि आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य विदेशी निवेश को रोकना नहीं है, बल्कि भारत को उत्पादन, तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में अधिक सक्षम बनाना है ताकि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा की जा सके.

    वर्तमान स्थिति: कूटनीतिक संवाद जारी

    हालांकि भारत और अमेरिका के बीच कुछ व्यापारिक मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं, फिर भी दोनों देशों के अधिकारी सतत संवाद में हैं. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, आने वाले महीनों में भारत और अमेरिका के बीच एक नई व्यापार वार्ता हो सकती है, जिसमें पुराने टैरिफ विवाद, डिजिटल व्यापार के नियम, और रक्षा उपकरणों की खरीद जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी.

    इसके अलावा, QUAD और Indo-Pacific रणनीति जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से भी दोनों देश अपने संबंधों को सामरिक और आर्थिक रूप से मज़बूत करने का प्रयास कर रहे हैं.

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